आत्मदेव, धुंधकारी व गोकर्ण के प्रसंग से शुरू हुई भागवत कथा


आत्मदेव, धुंधकारी व गोकर्ण के प्रसंग से शुरू हुई भागवत कथा



करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना विकास खंड अंतर्गत नगपुर में श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ का शुभारंभ बुधवार को हुआ। इसमें पहले दिन पंडित आशीष तिवारी व विनीत पांडेय ने मुख्य यजमान सपत्निक प्रभुनाथ राम के संकल्प सिद्धि से मंडप प्रवेश, वेदी पूजन व भागवत परायण के साथ हवन कार्य सम्पन्न कराया। सायंकाल श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य पंडित महेश चंद्र मिश्र ने आत्मदेव, धुंधकारी व गोकर्ण के प्रसंग के साथ बताया कि यह कथा ज्ञान, वैराग्य एव भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।

कथा में आचार्यश्री ने बताया कि दक्षिण भारत के तुंगभद्रा नदी के तट पर आत्मदेव नामक एक व्यक्ति रहते थे जिनकी पत्नी का नाम धुंधली था। पत्नी व्यवहार से ठीक नहीं थीं और उन्हें कोइ संतान भी नहीं थी। निःसंतानता के संताप से दुखी आत्मदेव प्राण त्यागने जा रहे थे कि उन्हें एक सन्यासी ने रोका और इसके निवारण के लिए एक फल प्रसाद दिया। बताया कि पत्नी को खिलाने से संतान उत्पन्न होगा। आत्मदेव की पत्नी ने दुर्व्यवहार स्वरूप वह फल न खाकर गाय को खिला दी और कुछ महीनों पश्चात अपनी बहन के नवजात बच्चे को अपना बच्चा बता कर पालन-पोषण किया औऱ उसे अपना बना लिया।

कालांतर में धुंधली का यही बालक धुंधकारी और गाय से उत्पन्न मनुष्यरूपी बालक गोकर्ण के नाम से विख्यात हुए। गोकर्ण धर्मात्मा निकला जबकि धुंधकारी गलत आचरण के कारण वेश्याओं के जलाने से प्रेतयोनि में चला गया। बाद में चलकर गोकर्ण द्वारा सुनाई गई भागवत कथा से ही धुंधकारी को प्रेतयोनि से छुटकारा मिला। आचार्य महेश चंद्र ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से हमारे जन्मजन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्त को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त हो जाती है क्योंकि यह कथा ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का मार्ग बताती है।

प्रथम दिवस की कथा में राजकुमार तिवारी, चंद्रभूषण तिवारी, आरती श्रीवास्तव, श्रीकिशुन चौहान, आशीष चौधरी, जितेंद्र चौधरी, मुन्ना त्रिपाठी, शिवानंद गुप्ता, अखिलानंद द्विवेदी, त्रिलोकी नाथ श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

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