बारहवीं शताब्दी के महान राजा थे बिजली पासी : कल्पनाथ पासी
मुख्य अतिथि ने बिजली पासी को बारहवीं शताब्दी का सबसे महान शासक, चिंतक, स्वाभिमानी और साहसी राजा बताते हुए उनके रास्ते पर चलने का आह्वान किया। पासी समाज के लोगों को शिक्षित होकर समाज व देशसेवा में आगे आने पर बल दिया।
हड्डी एवं जोडरोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमेश सरोज ने कहा कि बिजली पासी स्वाभिमानी, वीर, साहसी और महान चितंक थे। वह कभी भी किसी की पराधीनता स्वीकार नहीं किए। बताया कि उन्होंने समाज के अलावा अपने राज्य की प्रजा के उत्थान और तरक्की के लिए अनेकों कार्य किए। अपने कार्यकाल में महाराजा बिजली पासी ने बारह किलाओं का निर्माण कराया जिसका निशान आज भी मौजूद है।
वरिष्ठ सपा नेता हरेंद्र प्रसाद सरोज ने कहा कि बिजली पासी वीर साहसी और पराक्रमी होने के साथ ही समाज सुधारक और महान चिंतक थे। उनके पराक्रम से आसपास के सभी देशों के राजा भयभीत रहते थे। हमें गर्व है कि हम ऐसे वीर साहसी और महापुरुष के समाज में जन्म लिए हैं। कहा कि लखनऊ जिला मुख्यालय से आठ कि.मी. दक्षिण में स्थित बंगला बाजार को पार कर बिजनौर कस्बे की ओर जाने वाली सड़क के दाहिनी ओर एक विशाल किले के अवशेष मिट्टी और कहीं-कहीं लखौरी ईंटों के टीले के रूप में दिखाई देते हैं। यह ऐतिहासिक स्थान बारहवीं शताब्दी के पराक्रमी महाराजा बिजली पासी की कीर्ति का मूक साक्षी है। यह किला पूर्व से पश्चिम 210 मीटर और उत्तर से दक्षिण 280 मीटर परिसर में कुल 58800 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और अब एक संरक्षित क्षेत्र है।
उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग के द्वारा प्रकाशित अभिलेखों के अनुसार," महाराजा बिजली पासी का राज्य 148 वर्ग मील लखनऊ और उसके आसपास के क्षेत्रों में फैला हुआ था। उक्त क्षेत्र के प्रशासन के लिए उन्होंने पहले अपनी मां के नाम विजनागढ़ का निर्माण कराया जो कालान्तर में 1.(बिजनौरगढ़ ) हो गया। उनकी मां का नाम विजना और पिता का नाम नटवा था। विजनौर से लगभग 3 कि.मी. उत्तर की ओर उन्होंने अपने पिता के सम्मान में 2.(नटवागढ़) का निर्माण कराया। पुनः राज्य के विस्तार के साथ उन्होंने उस किले से 3 कि.मी. और उत्तर की ओर उस विशाल किले का निर्माण कराया जिसे अब 3.(महाराजा बिजली पासी का किला) कहा जाता है। महाराजा बिजली पासी के उपर्युक्त तीन किलों के अतिरिक्त नौ किले और थे जिनके नाम थे, 4.(माती किला), 5.(परवर पश्चिम किला), 6.(कल्ली पश्चिम किला), 7.(पुराना किला), 8. (भटगांव किला), 9.(औरांव किला), 10.(दादूपुर किला), 11. (ऐन किला), 12.( पिपरसण्ड किला)।
इनमें नटवा, माती, परवर पश्चिम तथा कल्ली पश्चिम किलों के अवशेष आज भी टीलों के रूप में मौजूद हैं। महाराजा बिजली पासी के द्वारा बनवाये गये इन 12 किलों के निर्माण से यह ज्ञात होता है कि राजा बिजली पासी स्थापत्य कला में कितने निपुण थे। इन बारह किलों की श्रृंखला का निर्माण कर उन्होंने एक ऐसे चक्रव्यूह की रचना की थी कि कोई भी दुश्मन उनकी सत्ता को नुकसान न पहुंचा सके। महाराजा बिजली पासी के किले का चित्र अंग्रेज कर्नल डी.एस.हाडसन नें 1857 ई. में अपने हाथ से किले के पास बैठकर बनाया था। इस किले की भव्यता देखते ही बनती थी।
11वीं-12वीं शताब्दी में सम्पूर्ण उत्तरी भारत में अराजकता छाई हुई थी। एक ओर देशी राजे एक दूसरे से युद्ध लड़ने में अपनी शक्ति का क्षय कर रहे थे, दूसरी ओर यहाँ की आपसी फूट का लाभ उठाते हुए विदेशियों के आक्रमण तेज हो गये थे। ऐसा उल्लेख मिलता है कि कन्नौज के राजा जयचन्द ने महाराजा बिजली पासी से कर देने के लिए कहा। राजा बिजली पासी ने किसी प्रकार का कोई कर देने से साफ इंकार कर दिया था।
भाजपा नेत्री पूनम सरोज ने कहा कि हमारे पूर्वज राजा महाराजा थे ऐसे में हम लोग अपने को कमजोर न समझे। बल्कि शिक्षित बनकर समाज और देश की तरक्की में योगदान करें। करहां जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि रवि पासी ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि महाराजा बिजली पासी का संदेश है कि पराक्रमी, स्वाभिमानी और दूरगामी बनो ताकि समाज को नई दिशा दिया जा सकें।
जयंती कार्यक्रम में मुख्य रूप से सुरहुरपुर महाप्रधान रामदरश यादव, समाजसेवी सुरेश पासी, विधायक पूजा सरोज, बेचई सरोज, पूर्व विधायक बैजनाथ पासवान, संजय सरोज, डॉक्टर सुनील सरोज, रिंकू पासवान, रामकुंवर पासवान, राजकुमार पासवान एडवोकेट, डॉ राजेश, हवलदार पासवान, चंद्रशेखर पासवान समेत सहित सैकड़ो स्वजातीय स्त्री-पुरुष मौजूद रहे। कार्यक्रम में बिरहा गायिका संगीता सरोज व अनीता राज ने अपनी गायकी से चार चांद लगाया। कुशल मंच संचालन बलवंत प्रसाद ने किया।
Post a Comment