करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना विकास खंड के राजापुर में चल रही दो दिवसीय श्रीराम कथा सार ज्ञान यज्ञ के दूसरे व अंतिम दिन बसंत पंचमी के दिन बुधवार को साध्वी स्वरूपाबाई, सोनबाई व सारथानंद जी महाराज ने सारतत्व पर प्रकाश डाला। मानव उत्थान सेवा समिति के सतपाल जी महाराज की कृपापात्र शिष्या हंस आश्रम लखनऊ की प्रभारी साध्वी स्वरूपाबाई ने कहा कि ईश्वर न जप से, ना तप से, न से तीर्थ आदि बाहरी आडंबरों से मिलता है। भगवान को सिर्फ सच्चे निज हृदयाकाश स्थित पावन धाम में नाम को धारण करके ही अनुभव किया जा सकता है। नहि कलि करम भगति विवेकू। राम नाम अवलम्बन एकू।।
बताया कि कलयुग में केवल हरिनाम के द्वारा ही जीव का कल्याण हो सकता है। कलियुग केवल नाम अधारा। सुमिरि-सुमिरि नर उतरहि पारा।। बस हमें उस सनातन अविनाशी नाम का ज्ञान करना है जिसे प्रभु श्रीराम स्वयं स्मरण करते थे। भगवान श्रीराम कहते हैं कि एक गुप्त मत यह है कि कोई भी भगवान शंकर के भजन के बिना मेरी भक्ति को प्राप्त नहीं कर सकता। अब जानना यह जरूरी है कि भगवान किस शंकर भजन की बात कर रहे हैं और भगवान शंकर किस राम का सुमिरन करते हैं जो प्राणियो के प्राण का भी प्राण है? औरहु एक सुगुप्त मत, सबहि कहहु कर जोरि। शंकर भजन बिनहि नर भगति न पावहि मोरि।। इसी रहस्य को जानना ही श्रीराम कथा का सार ज्ञान तत्व है।
कार्यक्रम की शुरूआत में आयोजक मंडल द्वारा महात्मजनों का स्वागत माल्यार्पण किया गया। अंत में आरती, प्रसाद वितरण के साथ आयोजित महाभंडारे में सैकड़ो श्रद्धालुओ ने महाप्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक ग्रामप्रधान प्रतिनिधि बसंत कुमार सिंह, शाखा प्रधान रवि प्रकाश सिंह, शिवम राय, शेषनाथ सिंह, सुजीत कुमार, गुरुप्रसाद सिंह, त्रिभुवन दत्त, झगरू प्रसाद आदि आयोजन को सफल बनाने में लगे रहे।
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