पालतू जानवरों के साथ बिना रंग के मनाए उत्सव- डॉ. एके सिंह
करहाँ (मऊ) : भारत राष्ट्र के महान रंगोत्सव के पर्व होली पर हम जानें-अनजाने पालतू जानवरों को भी रंग लगा देते हैं। इससे उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जनपद के सुप्रसिद्ध पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर अमित कुमार सिंह ने रंगों के पर्व पर बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में जिले के पशुपालकों, किसानों एवं आम नागरिकों को सचेत किया है। कहा है कि पालतू जानवरों के साथ बिना रंग के उत्सव मनाएं।
डॉक्टर सिंह ने बताया कि रंगों से बचाने के लिए सुबह ही जानवरों को जल्दी घुमा लाएं और त्वचा संबंधी दिक्कतों से बचाने के लिए उन्हें नारियल तेल लगाएं। चूंकि पालतू जानवर हमेशा त्वचा को चाटते रहते हैं इसलिए उन्हें रंगों से दूर रखना और अधिक जरूरी है। पालतू जानवरों की आंख और कान में भी रंग जा सकते हैं, इससे भी उन्हें संक्रमण हो सकता है। इसके अतिरिक्त पालतुओं को रंगों से श्वसन संबंधी एलर्जी भी हो सकती है। उनके ऊपर पानी से भरे गुब्बारे फेंकने से वे चोटग्रस्त हो सकते हैं, साथ ही वे डर भी सकते हैं। इसलिए पालतू जानवरों के बर्तन चेक करें कि उनमें रंग न गिर गया हो ताकि वे शुद्ध खाना खा सके। उन्हें मिठाई व तला हुआ खाना न दें। पक्षियों के लिए लगाए गए घोसलों में भी रंग न गिरने पाये।
डॉक्टर अमित कुमार सिंह ने बताया कि पालतू जानवरों को यदि रंग लग गया हो तो पानी और शैंपू से धोने की कोशिश करें, केरोसिन या स्प्रिट न लगाए। यदि आपका पालतू जानवर गुस्सैल हो तो उसे बच्चों की पहुंच से दूर बांध दें। हालांकि उन्हें हल्दी, कुमकुम, फूलों के रंग, चुकंदर का रस जैसे प्राकृतिक रंग लगा सकते हैं। अपने आसपास और मित्रों को भी पालतू जानवरों को रंग न लगाने के लिए प्रेरित करें। इसके बावजूद किसी भी तरह की दिक्कत होने पर उन्हें पशु चिकित्सक को अवश्य दिखाएं।
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