कवि श्रीराम सिंह 'अतुल' को दी गयी काव्यमय श्रद्धांजली

कवि श्रीराम सिंह 'अतुल' को दी गयी काव्यमय श्रद्धांजली

"किसी दिन ये हवा भी गीत मेरे गुनगुनायेगी..😢"

सुल्तानीपुर में त्रयोदशाह संस्कार पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में जुटे दिग्गज

करहाँ (मऊ) : "रहूंगा मैं नहीं कल गुलिस्तां में ग़म नहीं करना, हवाओं में अतुल मेरी वही आवाज़ आयेगी; संजोकर खुशबुएं सारी हवा में गीत भर दूंगा, किसी दिन ये हवा भी गीत मेरे गुनगुनायेगी।" जब कवि स्वर्गीय श्रीराम सिंह 'अतुल' की उक्त पंक्तियां देश की उभरती हुई गीतकार व लेखक श्रुति सिंह 'अथर्वा' ने उनकी श्रद्धांजलि सभा में सुनाई तो बरबस ही उपस्थित लोंगो की आंखें गीली हो गयी। मौका था मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के सुल्तानीपुर स्थित प्रतिष्ठित नागरिक, सेवानिवृत्त एडीओ व जिले के जाने-माने कवि श्रीराम सिंह 'अतुल' के त्रयोदशाह संस्कार पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा का। सोमवार को देर रात तक चली काव्यमय श्रद्धांजलि सभा में आये अनेक कवियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज शामिल हुये। सबने उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुये अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये।

कविहृदय स्वर्गीय श्रीराम सिंह 'अतुल' की बड़ी नातिन व किशोरवय लेखिका श्रुति सिंह 'अथर्वा' ने आगे कहा कि नानाजी के व्यक्तित्व की व्याख्या मैं जितनी भी करूं वह कम होगी। प्रारब्ध, पुरुषार्थ, परिश्रम, जिम्मेदारी, समर्पण, ईश्वर भक्ति, प्रेम आदि के उनके गुणों से मुझे हमेशा सकारात्मक प्रेरणा मिलती है। आज मैं अगर अपनी पंक्तियां लिख और सुना पाती हूं तो यह उनकी ही प्रेरणा और मेरे शरीर में बहते उनके रक्त की देन है। जिस उम्र में बच्चे 'मछली जल की रानी है' कविता याद करते हैं, उस उम्र में मैं उनकी लिखी कविता "हम हैं नन्हे फूल डाल पर खिलकर के मुस्कायेगें" पढ़ती और गुनगुनाती थी। उनके कवि उपनाम 'अतुल' की तरह वह निश्चित ही अतुलनीय रहेंगे। अथर्वा ने अपनी चंद पंक्तियों से काव्यांजलि अर्पित करते हुये कहा कि- "हृदय साझा न कर पाई व्यथा जिनसे बिछड़ने की, समेटे स्नेह दिल में वो खुशबू से बिखरते थे; लुटाते थे प्रभु की साधना में स्वांस हर पल जो, कलम से प्रश्न करते वो 'अतुल श्रीराम' लिखते थे।"

स्वर्गीय श्रीराम सिंह के बड़े दामाद, आदित्य बिड़ला ग्रुप ऑफ एजुकेशन रेणूसागर के प्रधानाचार्य और देश के बड़े कवि ब्रजेश कुमार सिंह ने श्रद्धांजलि सभा का मंच संचालन करते हुए कहा कि कवि कभी मरता नहीं है। वह हमेशा अपनी पंक्तियों के माध्यम से लोंगो की स्मृतियों में जीवित रहता है- "मेरा अपना तजुर्बा है, इसे सबको बता देना, हिदायत से तो अच्छा है किसी को मशवरा देना; अभी हम हैं हमारे बाद भी होगी हमारी बात, कभी मुमकिन नहीं होता किसी कवि को मिटा देना।"

जिले के जाने-माने साहित्यकार अशोक कुमार 'अश्क' ने कहा कि स्वर्गीय श्रीराम सिंह 'अतुल' बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह सरकारी सेवा में रहते हुए सामाजिक दायित्वों का निर्वहन बखूबी किये और साथ ही साहित्यिक सृजन कर इस क्षेत्र में एक ख़ास मुकाम हासिल किये। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से यह साबित किया कि एक साहित्यकार कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक सोच रखता है- "लाख जतन कर देख लिया, उनको जी भर देख लिया; चिड़ियों के शैदाई ने, काट लिये पर देख लिया।"

आजमगढ़ की धरती से पधारे पूर्वांचल के प्रख्यात कथावाचक डाक्टर मंगला सिंह ने कहा कि स्वर्गीय बाबू श्रीराम सिंह से विभिन्न समारोहों में अक्सर मुलाकात होती थी। उनके आहार, व्यवहार, विचार, कुशल मंच संचालन व प्रभावी काव्यशैली से मैं बेहद प्रभावित रहता था। आज जरूरत है उनके परिजनों को उनके गुणों को अनुकरण करने की। वे सरकारी सेवा में रहते हुए हमेशा जरूरतमंदों के काम आते थे- "बदल दे जिंदगी को जो उसे हम ज्ञान कहते हैं, क़यामत तक रहे कायम उसे ईमान कहते हैं; जो देता कष्ट औरों को उसे शैतान कहते हैं, जो आता काम औरों के उसे इंसान कहते हैं।

रानीपुर ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अरुण कुमार सिंह ने कहा कि एडीओ रहते हुए भी श्रीराम सिंह दादा सामाजिक कार्यों से अपनी गहरी छाप छोड़े। हमारा संबंध तो बेहद पारिवारिक है। इस दुख की घड़ी में हम सभी उनके स्वजन के साथ खड़े हैं।

पूर्व ग्राम प्रधान सत्यनारायण यादव ने दादा की स्मृतियों को याद करते हुए उनके योगदान की चर्चा की तथा समस्त ग्रामवासियों से उनके आचरण से प्रेरणा लेने की अपील की। श्रद्धांजलि सभा को कांग्रेस नेता अजय गुप्ता, पूर्व शिक्षक ओमप्रकाश सिंह, अध्यापक विजय नरायन यादव, संजीव कुमार, विनोद सिंह, राजीव सिंह आदि ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर डाक्टर सरोज, बृजेश सिंह, धनंजय कुमार, आशीष सिंह, गुरुदत्त, शिवशंकर सिंह, रामजी सिंह, अवधेश सिंह सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे। दिवगंत कवि स्वर्गीय श्रीराम सिंह दादा के एकमात्र पुत्र मयंक शेखर उर्फ बिट्टू ने रुंधे गले से सबके प्रति आभार व्यक्त किया।






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