गोशालाओं में कहीं हरे चारे तो कहीं मृत पशुओं के दफनाने की जमीन का अभाव
◆तिलसवां गोशाला में दूषित पानी से भरा मिला जलाशय
◆साफ-सफाई, भूंसा-चारा, रखरखाव, सेवाभाव व पेयजल व्यवस्था सराहनीय
करहाँ (मऊ) : मंगलवार को दैनिक जागरण व अज़ीत एक्सप्रेस की टीम ने करहाँ परिक्षेत्र के नगपुर व तिलसवां स्थित अस्थायी गोआश्रय स्थलों की पड़ताल की। इसमें कहीं हरे चारे तो कहीं मृत पशुओं के दफनाने की जमीन का अभाव पाया गया। तिलसवां में दूषित पानी से भरा एक जलाशय मिला जो पशुओं के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है। इसके अलावा दोनों गोशालाओं में साफ-सफाई, भूंसा-चारा, रखरखाव व स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था सराहनीय पायी गईं। नगपुर में स्वीकृत 27 पशुओं के स्थान पर 23 पशु जबकि तिलसवां में स्वीकृत 125 पशुओं के स्थान पर 135 पशु पाये गये।
प्रातः 09 बजे नगपुर के अस्थायी गोआश्रय स्थल पर पड़ताल शुरू की गई। यहाँ साफ-सफाई, पशुओं का रख रखाव, पीने का स्वच्छ पानी एवं भूसे की व्यवस्था समुचित व पर्याप्त मात्रा में पायी गयी। यहाँ हरे चारे का अभाव देखा गया जिसे उपस्थित सहयोगियों ने विनम्रता से स्वीकार किया।
ग्राम प्रधान राहुल यादव ने बताया कि पशुओं के पालन-पोषण हेतु प्रति पशु 50 रुपये की धनराशि प्राप्त होती है जो अपर्याप्त है। गोआश्रय स्थल पर पर्याप्त स्थान पर खड़ंजा, सुरक्षित बाड़ व गेट लगाया गया है। भूंसे के रखरखाव हेतु एक कमरा भी है। यहाँ सिर्फ हरे चारे के अभाव के अलावा कोई अन्य दुर्व्यवस्था नहीं पाई गयी।
तिलसवां गोशाला पर टीम ने 12 बजे पड़ताल शुरू की। यहाँ चाहरदीवारी के निर्माण के बाद सड़क किनारे के गड्ढों में मिट्टी पाटने का काम चलता हुआ पाया गया। मौके पर ग्राम प्रधान गीता देवी, प्रधान प्रतिनिधि माधव सरोज व अन्य सहयोगी केयरटेकर कर्मचारी मौजूद मिले। मौके पर सूखे व हरे चारे एवं पीने के पानी की आपूर्ति समुचित मात्रा में पाई गई।
प्रधान प्रतिनिधि माधव सरोज के अनुसार मृत पशुओं को दफनाने के लिए गोआश्रय स्थल के पास जमीन की कमीं है। इस समस्या पर उन्होंने उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया है।
साथ ही गोआश्रय स्थल के अंदर निर्मित एक छोटे से तालाब की एक समस्या का जिक्र किया कि बरसात के समय में गोशाला की गोबर-मिट्टी, मूत्र आदि बहकर इसमें मिलने से इसका पानी दूषित हो जा रहा है। इसको पीने से पशु बीमार हो सकते हैं।
हालांकि पशुओं को पीने के लिए स्वच्छ पानी की आपूर्ति अण्डरग्राउण्ड पाइप द्वारा बड़े हौद में की जाती है। यहाँ गोशाला की क्षमता से अधिक पशु मौजूद मिले।
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