शिक्षा के साथ संस्कार व किशोर मन की बात उठाने का शसक्त माध्यम बना संस्कारशाला
करहां (मऊ) : दैनिक जागरण का विशेष समाचारीय अभियान संस्कारशाला शिक्षा के साथ संस्कार को जोड़ने व किशोर मन की बात उठाने का सशक्त माध्यम बन गया है। शिक्षक दिवस 05 सितंबर से बाल दिवस 14 नवम्बर तक चलने वाला यह अभियान बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है। इससे जागरण के प्रति विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अभिभावकों में विशेष अनुराग उत्पन्न हो रहा है। सोमवार को जिले के मुहम्मदाबाद गोहना ब्लाक अंतर्गत हरिपालजी स्मारक पीजी कालेज दरौरा, बीबीएन हायर सेकेंडरी स्कूल महमूदपुर व आरएएफ महिला पीजी कालेज शमशाबाद में छात्र-छात्राओं के बीच संस्कारशाला की कहानी पढ़कर सुनाई गई। प्रस्तुत है संस्कारशाला की इस अनोखी पहल की झलक..!!
संस्कारयुक्त शिक्षा से मिलेगा सेलेक्शन, नहीं तो होंगे रिजेक्ट : संजय तिवारी
करहां (मऊ) : छात्र जीवन में विभिन्न विषयों का ज्ञान आवश्यक है। इसके साथ ही संस्कार भी मायने रखता है। अगर हम शिक्षित हैं और संस्कार नहीं है, तो किसी भी बड़ी जगह से रिजेक्ट कर दिये जायेंगे। वहीं संस्कारयुक्त शिक्षा सेलेक्शन की निशानी है। अच्छे कार्य व व्यवहार के साथ कम शिक्षा में भी सम्मानजनक स्थान पाया जा सकता है।
उक्त बातें हरिपालजी स्मारक पीजी कालेज दरौरा, करहां, मऊ के हिंदी प्रवक्ता डाक्टर संजय तिवारी ने विद्यार्थियों के समक्ष व्यक्त किये। वे दैनिक जागरण द्वारा संस्कारशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि माता-पिता, शिक्षक व समाज विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी लोग हमेशा संस्कारयुक्त शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करते हैं। हमारी पुरानी शिक्षा व गुरुकुल प्रणाली में भी इसी बात का ध्यान रखा जाता था। इसलिये हमें अपने जीवनकाल में कब, कैसे और क्या करने का उत्तर पाने के लिए उसका विवेकपूर्ण चिंतन करना आवश्यक है।
शिक्षा के साथ संस्कार की घुट्टी पिलाते हैं माता-पिता व शिक्षक : पिंटू शर्मा
करहां (मऊ) : किसी भी बालक के माता-पिता ही उसके पहले गुरु व मार्गदर्शक होते हैं। अक्षर ज्ञान कराने की पहली पाठशाला सहित आहार, व्यवहार व उत्तम विचार की पहली संस्कारशाला भी वही हैं। उसके बाद शिक्षकों का स्थान आता है, जो बच्चों को विभिन्न विषयों के ज्ञान के साथ संस्कार की घुट्टी भी पिलाते हैं।
उक्त बातें बीबीएन हायर सेकेंडरी स्कूल महमूदपुर, नगपुर, मऊ के प्रधानाचार्य पिंटू शर्मा ने बच्चों के समक्ष कहीं। वे दैनिक जागरण द्वारा विद्यालय में आयोजित संस्कारशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि माता-पिता व गुरुजनों के सम्मिलित प्रयास से किसी विद्यार्थी के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो पाता है। इसलिये सभी बच्चों को माता-पिता, गुरुजन, पड़ोसी व नातेदारों की बातों को ध्यान देना आवश्यक है। क्योंकि यह सभी ज्ञान व अनुभव में आपसे बहुत आगे हैं।
क्रोध, आवेग व दुख में कोई निर्णय न लें किशोर : बद्री सिंह
करहां (मऊ) : किशोरावस्था एक संक्रमणकालीन अवस्था है। इसमें एक विद्यार्थी बालपन से युवावस्था की तरफ अग्रसर होता है। इस बीच उसके अंदर अनेक शारीरिक व मानसिक परिवर्तन होते हैं। इस दौरान हर किशोर बंधनमुक्त होकर आजाद पक्षी की तरह उड़ना चाहता है। लेकिन यह उसके भविष्य को खतरे में डाल सकता है। इसलिए हर किशोर को माता-पिता, अभिभावक व शिक्षकों से मार्गदर्शन लेते रहना चाहिये।
उक्त उद्गार आरएएफ महिला पीजी कॉलेज शमशाबाद, करहाँ, मऊ के हिंदी प्रवक्ता बद्री सिंह ने व्यक्त किये। वे महाविद्यालय के सभागार में आयोजित दैनिक जागरण की कार्यशाला में सैकड़ों छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे बताया कि माता-पिता व गुरुजनों को भी आगे बढ़कर किशोर मन की बात समझनी चाहिये तथा उनकी समस्याओं को हल करने का प्रयास करना चाहिये। किशोरों को कभी भी दुख, आवेग व क्रोध में जीवन का कोई निर्णय नहीं लेना चाहिये। ऐसे विषयों पर दिल से नहीं बल्कि बुद्धि और विवेक से निर्णय लेना चाहिये। विवेकपूर्ण चिंतन हमें उच्चतम सफलता के बिंदुओं तक पहुंचाता है। किशोरों के कठिन समय में विवेक एवं धैर्य सबसे अच्छे मित्र होते हैं। इसलिये इनका साथ कभी भी न छोड़ें।
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