महिला श्रद्धालुओं ने रखा संकष्टी चतुर्थी का व्रत; पूजन कर दिया अर्घ व चंद्रदर्शन के बाद किया जलग्रहण
करहाँ, मु.बाद गोहना, मऊ। संकटों का हरण करने वाले विघ्नहरण गणेश महाराज का जिले सहित करहाँ परिक्षेत्र के विभिन्न गांवों एवं कस्बों में महिलाओं ने व्रत रखा एवं देर शाम पूजन-अर्चन संपन्न किया। भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिवस पर पूरे जनपद सहित दरौरा और राजर्षि नगर में भी रविवार को माताओं-बहनों ने भगवान गणेश का निर्जला व्रत रखकर देर शाम पूजन-अर्चन, आरती-भोग, एवं अर्घ अर्पण करते हुए चंद्रमा को देखकर ही जल ग्रहण किया।
इस बार संकष्टी चतुर्थी 03 सितंबर दिन रविवार को मनाई गयी। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की आराधना करने के लिए विशेष दिन माना गया है। संकष्टी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और घर मे सुख और शांति बनी रहती है। संकष्टी चतुर्थी को हेरम्ब चतुर्थी, विनायक चतुर्थी और महास्कंद हर चतुर्थी भी कहते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत करने और भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसलिए खासकर दुःख दूर करने एवं सुख, शांति एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भुसुवां, याकूबपुर, दतौली, दपेहड़ी, मंडूसरा, भाँटीकला, अरैला, करहाँ, शमशाबाद, टंडवा, जमुई, नगपुर, नेवादा, भतड़ी, माहपुर, चकजाफ़री, मालव, पिटोखर, देवरिया, सौसरवाँ, बरसवाँ, हिन्डोला, टेकई, सद्धोपुर, देवसीपुर, कमालपुर, ओटनी, राजापुर, लग्गूपुर, तिलसवाँ आदि गाँवो की अधिकांश महिलाएं इस व्रत को विधि-विधान से सम्पन्न की हैं। पूजन करने वाली कुछ व्रती महिलाएं हिन्दमती, निशारानी, रीता सिंह, नीतू कुमार, सुनीता यादव, अर्चना सिंह, संगीता यादव, रोमी सिंह, सरोज बाला, संगीता देवी, रीना सिंह, सुधा सिंह आदि ने कहा कि वैसे तो प्रत्येक गणेश चतुर्थी वंदनीय और पूजनीय है, परंतु भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में विघ्नहरण का पूजन विशेष फलदायी होता है। इसलिए सौभाग्यवती सहित प्रायः सभी महिलाएं यह व्रत जरूर करती हैं। भगवान गणेश सबका मंगल करें।
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