बिना प्रशासनिक पहल के बंदरो से निजात मुश्किल
करहां, मु.बाद गोहना, मऊ। मुहम्मदाबाद गोहना तहसील अन्तर्गत करहां परिक्षेत्र के दर्जन भर गांव बंदरो के उपद्रव से त्रस्त हैं। इससे निजात दिलाने की गुहार अबतक बेमानी साबित हुई है। प्रशासन ग्राम पंचायत और नगर पंचायत की जिम्मेदारी बता कर पल्ला झाड़ ले रहा है। इस बाबत क्षेत्रीय नागरिको का कहना है कि बंदरो का उत्पात काफी गांवों में सैकड़ों की संख्या में फैल चुका है। यहां नगर पंचायत नहीं है, इसलिए बिना प्रशासनिक पहल के प्रभावित गांवों में ग्राम पंचायत स्तर से इतनी बड़ी समस्या से निजात दिला पाना बेहद मुश्किल है।
ज्ञातव्य हो कि गुरादरी मठ से करहां बाजार सहित करहां गांव के आतागंज, रसूलपुर, बीच महाल, माहपुर, गद्दोपुर, करहां मील, जोगियाना, चकजाफ़री, मालव, परवा, राजर्षि नगर, दरौरा, घुटमा, जमुई आदि मुहल्लों एवं गांवों में इनका भयंकर उपद्रव है। दुकानदारों के सामानों एवं खरीदारों द्वारा लेकर जा रहे थैलों को झपट्टा मारकर लेकर भाग जाते हैं। अब तक बन्दर शकुन्तला देवी, गीता सिंह, खुर्शीद अहमद, सोनी शर्मा, लीलावती चौरसिया, सोहराब अहमद, भगवती देवी, दिनेश प्रजापति, मुन्नी देवी आदि अनेकों महिला, पुरुषों, बच्चों एवं पशुओं को काट चुके हैं। कहीं भी बाहर निर्भीक रूप से महिलाएं, रोगी, वृद्ध, बालक, विद्यार्थी जा नहीं सकते। खासकर महिलाओं एवं बच्चों पर बंदर ज्यादा चपेट करते हैं। इनकी जनरेशन भी वर्ष में दो बार बढ़ जाती है।
क्षेत्रवासी विष्णुकांत श्रीवास्तव, राहुल सिंह, पूनम जायसवाल, सुनील सिंह, आदर्श मौर्य, गीता देवी, छविनाथ भारती, अनिल भारद्वाज, आरिफ खां, शकुन्तला सिंह, हरेन्द्र प्रसाद, गोल्डी कुमार, मधुबाला सिंह, अशफ़ाक अहमद, जेपी यादव, प्रतिभा सिंह, अयोध्या प्रसाद, श्रीकांत सिंह, सुलेखा मौर्या, शमशाद अहमद, राधेश्याम प्रजापति, आनंद गुप्ता, रामअवतार कन्नौजिया आदि ने संबंधित विभाग एवं अधिकारियों से उत्पाती बंदरों से मुक्ति की गुहार लगाई है।
-हमारे ग्रामसभा स्थित गुरादरी मठ से बंदरो का फैलाव अब दर्जनों गांवों में हो चुका है। सभी लोग इस समस्या से हलकान हैं लेकिन इनकी संख्या अब इतनी अधिक बढ़ गयी है कि ग्राम पंचायत स्तर पर इनसे पार पाना मुश्किल है।
-धीरेन्द्र प्रताप खरवार, ग्रामप्रधान-चकजाफ़री
-हमने बंदरो से मुक्ति के उपायों पर विचार किया है परंतु उसमें काफी खर्च का अनुमान है, जो बिना प्रशानिक सहयोग के संभव नहीं है। दूसरी समस्या उन्हें छोड़ने की है। जंगलों के अभाव में इतने बंदरो को पकड़ भी लिया जाय तो छोड़ा कहाँ जाय-? यदि हम कहीं भी छोड़ देंगे तो अन्य लोग भी हमारे यहां लाकर छोड़ सकते हैं।
-श्यामबिहारी जायसवाल, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि-करहां
-अगर वन विभाग या अन्य कोई संस्थान बंदरो से मुक्ति दिलाने का कार्य करे तो हम गांव स्तर पर सहयोग करने के लिए तैयार हैं क्योंकि हमारे ग्रामवासी बंदरो के उपद्रव से काफी परेशान हैं।
-जगदीश चौहान, ग्रामप्रधान-माहपुर
-करहां सहित पूरा क्षेत्र बंदरो के उपद्रव से त्रस्त है। ज्यादातर इनकी शिकार महिलाएं एवं बच्चे होते हैं। मेरी सासु मां को खुद दो बार बंदर काट चुके है। गृहस्थी के सारे कार्य इनके उत्पात से बाधित हैं।
-गीता सिंह, गृहणी-करहां
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