कोठिया धाम पर ब्रह्म गायत्री जप यज्ञ में किया गया ब्राह्मण वरण व पूजन


कोठिया धाम पर ब्रह्म गायत्री जप यज्ञ में किया गया ब्राह्मण वरण व पूजन


ब्रम्हर्षि रामकृष्णय की मठिया पर चल रही ब्रह्म गायत्री जप यज्ञ का तीसरा दिन



करहां, मु.बाद गोहना, मऊ। मुहम्मदाबाद गोहना तहसील अन्तर्गत ब्रह्मलीन संत ब्रम्हर्षि रामकृष्ण जी महाराज के परम पावन कोठिया धाम में गुरुवार से ब्रह्म गायत्री जप यज्ञ चल रही है। यज्ञ के तीसरे दिन मंडप प्रवेश, वेदी अर्चनादि के क्रम में देव, द्विज, प्राज्ञ पूजन का महत्व बताते हुए मुख्य यजमान के हाथों ब्राह्मण वरण कराया। इस यज्ञ का विधिवत समापन सोमवार के दिन हवन, पूर्णाहुति पूर्वक भंडारे के साथ संपन्न होगा।


यज्ञाचार्य शिवम मिश्रा और मन्नू चौबे के द्वारा मंडप प्रवेश, वेदी पूजन कराया गया। इसमें यज्ञ के मुख्य यजमान अशोक कुमार सिंह एवं डॉक्टर राहुल तिवारी द्वारा ब्राह्मणों को अंग वस्त्र भेंट किया गया। आचार्यद्वय ने मुख्य यजमान को यज्ञ कर्म में देव, द्विज, प्राज्ञ पूजन का महत्व बताते हुए कहा कि यदि भक्ति के लिए पूजन में बिना ब्राह्मण के कोई फर्क नहीं पड़ता परंतु वैदिक यज्ञ व अनुष्ठान में ब्राह्मण के सम्मान के बिना यह संभव नहीं है, क्योकि पूजा में ऐसा ही विधान बताया गया है। पहले देव अर्थात देवता, पुनः द्विज अर्थात ब्राह्मण और अंत में प्राज्ञ अर्थात गुरुपूजन सनातन परंपरा में वर्णित है।


आचार्य शिवम मिश्रा ने यज्ञ मंडप में भगवान की तपस्या के भेद बताये। सर्वप्रथम शारीरिक तपस्या का भेद बताते हुए कहा कि मनुष्य को चाहिए कि वह ईश्वर या देवों, योग्य ब्राह्मणों, गुरु तथा माता-पिता जैसे गुरुजनों या वैदिक ज्ञान में पारंगत व्यक्ति को प्रणाम करे और उनका आदर पूर्वक वरण करे। इसमें तिलक-चंदन, माल्यार्पण-पुष्पार्चन, वस्त्र-आभूषण-दक्षिणा पूर्वक भोग-प्रसाद अर्पण का क्रम है। इससे आंतरिक तथा बाह्य रूप से अपने आप को शुद्ध करने का अभ्यास होता है।गुरु आज्ञा के बिना यजमान को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जो शास्त्र-सम्मत न हो।


आज तीसरे दिन के यज्ञ महोत्सव में डॉक्टर अरुण कुमार उपाध्याय, चंडी प्रसाद तिवारी, अभिषेक सिंह, वेद प्रकाश तिवारी, चंदन तिवारी, सुभाष यादव, रमेश यादव, बंटी सिंह, कमलेश यादव केशव यादव, मुकुन्द पाठक, फुलेंद्र कुमार, शिव प्रसाद यादव, प्रकाश यादव, विशाल गुप्ता उपस्थित रहे। रात्रि में मऊ से पधारे पंडित गिरजेश महाराज का प्रवचन हुआ।




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