करहाँ के मठ गुरादरी पर लगेगा पूर्णिमा का भव्य मेला
बाबा घनश्याम दास के दर्शन को जुटेंगे हजारों श्रद्धालु, होगा स्नान-दान, चढ़ेगी कढ़ाई, बनेगा खिच्चड़
करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना तहसील अंतर्गत करहां बाजार के पास स्थित सुप्रसिद्ध और प्राचीन मठ गुरादरी धाम पर पूर्णिमा का भव्य मेला सोमवार को लगेगा। इसमें आसपास और दूर दराज से हजारों श्रद्धालु आकर पवित्र गंगा सरोवर में डुबकी लगाएंगे तथा बाबा घनश्याम साहब का दर्शन पूजन करेंगे। बहुत सारे लोग यहां पर कढ़ाई चढ़ाते हैं, खिच्चड़ बनाते हैं और बाबा को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। साथ ही अपनी नई फसल में से पांच गन्ने का दान करते हैं।
बाबा घनश्याम दास की तपस्थली के रूप में सुविख्यात यह मठ 350 वर्षों पुराना है। यहां उनकी समाधि के अलावा पदारथ साहब, महाबल साहब, प्रहलाद साहब, सत्यनारायण साहब और जगन्नाथ साहब जैसे दिव्य संतो की समाधियां स्थित हैं। बाबा घनश्याम यहीं चकजाफ़री गांव के ही मूल निवासी हैं जिनका जन्म क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इनके मन में बचपन से ही वैराग्य उत्पन्न हो गया। पास के गुरादरी जंगल में पशु चराते हुए तपस्या करते थे। इनकी माताजी इन्हें घर से लाकर भोजन करा देती थीं। एक बार वह भोजन लेके आईं लेकिन पानी नहीं ला पायीं। उन्होंने घनश्याम से कहा तो उन्होंने सामने की सूखी पोखरी में से पानी लेने को कहा। माताजी ने कहा कि घनश्याम इसमें तो पीने लायक पानी नहीं है। जो है वह कीचड़ समान है। माता को परेशान देख बालक घनश्याम ने वहाँ अपने तपोबल से एक मिट्टी का टुकड़ा हटाकर पाताल गंगा का अवतरण कर दिया। देखते ही देखते पूरा जलाशय स्वच्छ पानी से भर गया। तबसे लेकर अबतक इस गंगा सरोवर का पानी कभी सूखता नहीं है।
कहा जाता है कि जब बाबा घनश्याम साहब इस चमत्कार और अपनी तपस्या से प्रसिद्ध हुए तब तमाम लोग उनके दर्शन के लिए आने लगे। रोज-रोज लोंगो के आने और मिलने से उनकी तपस्या बाधित होने लगी। इस पर उन्होंने अपने भक्तों से वर्ष में दो बार मिलने का आग्रह किया। उनके द्वारा ही बताये गये दिन चैत्र रामनवमी तथा कार्तिक पूर्णिमा पर लोग मिलने आने लगे। यही वर्ष में दो बार बाबा से मिलने का दिवस बाद में चलकर मेले का रूप धारण कर लिया जो अबतक जारी है।
कई दिन पहले से ही यहां पर पत्थर और लकड़ी की दुकानें आ चुकी हैं। झूले और चर्खियां भी लग चुकी हैं। पूर्णिमा को भोर से ही स्नान दान कर श्रद्धालु पवित्र पोखरे की परिक्रमा करेंगे। साथ ही बाबा घनश्याम दास की समाधि का दर्शन कर फूल-बताशा चढ़ाएंगे। अन्नपूर्णा भंडार अर्थात कोठार में क्षेत्रीय लोग अपनी फसलों का दान करते हैं तथा यहां का परंपरागत भभूत प्रसाद प्राप्त करते हैं। मठ के वर्तमान महन्त मानस धुरंधर भगवान दास ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रद्धालुओ की अपार भींड जुटने की संभावना को देखते हुए साफ-सफाई सहित सुरक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त की जा रही है। इसमें पुलिस प्रशासन एवं पीएसी बल के नौजवान भी लगेंगे।
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