80 वर्षो पुरानी है सौसरवां कमालुद्दीनपुर की रामलीला। अब नहीं सुनाई देगी काले हनुमान के रूप में महेंद्र सिंह की गर्जना
◆सौसरवां-कमालुद्दीनपुर की रामलीला में 07 अक्टूबर को मुकुट पूजन, 08 अक्टूबर से मंचन
◆समिति के अध्यक्ष रहे स्व. महेंद्र सिंह के निधन से मायूस हैं दर्शक। राम-लक्ष्मण शिवम व अनुपम पांडेय अस्वस्थ, आयूष व सूर्यांश पांडेय संभालेंगे नई जिम्मेदारी
■करहां (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना थानांतर्गत रामलीला समिति सौसरवां-कमालुद्दीनपुर की सुप्रसिद्ध रामलीला का इतिहास 80 वर्षो पुराना गया। यहां आजादी के पहले से रामलीला का भव्य मंचन हो रहा है। यहां 07 अक्टूबर को मुकुट पूजन कर 08 अक्टूबर से रामलीला का मंचन प्रारंभ होगा। रामलीला समिति के अध्यक्ष रहे व पिछले 35 वर्षों से काले हनुमान का जबरदस्त अभिनय करने वाले महेंद्र सिंह नहीं रहे। उनके निधन से समिति व दर्शक मायूस हैं। वहीं काले हनुमान के रूप में उनकी गर्जना भी अब नहीं सुनाई देगी। साथ ही राम-लक्ष्मण का अभिनय करने वाले शिवम पांडेय व अनुपम पांडेय ,इस समय अस्वस्थ चल रहे हैं। इनके स्थान पर आयूष पांडेय व सूर्यांश पांडेय नई जिम्मेदारी संभालेंगे।बता दें कि लंबे समय से रामलीला समिति के नेतृत्वकर्ता व हनुमान का जीवंत अभिनय करने वाले सौसरवां निवासी महेंद्र सिंह का पिछले महीनों निधन हो गया। कुछ समय पहले रामलीला समिति की बैठक में पूर्व अध्यक्ष को श्रद्धांजलि दी गयी एवं उनके स्थान पर बृजबिहारी सिंह का चयन किया गया। बता दें कि सौसरवां ग्राम निवासी अपने समय के सुप्रसिद्ध काश्तकार स्वर्गीय रामरूप पांडेय ने कुछ प्रमुख सहयोगियों के साथ मिलकर सबके सहयोग से 1945 में इस स्थान पर एक भव्य रामजानकी मंदिर सहित सरोवर का निर्माण करवाया। उन्होंने मंदिर एवं सरोवर के ठीक बगल में पवित्र रामलीला शुरू करवाई। शुरुआती समय में स्वर्गीय बनवारी पांडेय, राजनारायण सिंह, विजयभान सिंह, सूर्यबली पांडेय, बेचू सिंह, श्यामनारायण सिंह आदि ने रामलीला मंचन में प्रमुख रूप से सहयोग किया।
यहां के रामलीला की प्रमुख विशेषता यह है कि यहां राम, लक्ष्मण और सीता का अभिनय नाबालिग ब्राह्मण बालक ही करते हैं, जबकि परंपरा से हनुमान का किरदार प्रायः राजपूत सदस्यों ने ही निभाया है। यहां पुराने समय से लेकर अब तक रामलीला के अभिनय में विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र, अध्यापक, कर्मचारी, अधिकारी एवं योग्य शिक्षित लोग ही भाग लेते रहे हैं, जो रामलीला के समय अपने-अपने संस्थानों से इतने दिन का अवकाश लेकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने आते हैं। यहां की रामलीला के कुछ ऐसे कलाकार रहे हैं जिनकी अभिनय प्रतिभा की दाद आज भी समाज में दी जाती है। इनमें स्वर्गीय सकलदीप सिंह साधू, दिवाकर पांडेय, जनार्दन पांडेय, मुरलीधर पांडेय, ब्रजभूषण पांडेय, इंद्रदेव सिंह, कतवारू यादव, सरयू शर्मा आदि का नाम लिया जाता है। इनके निभाए गये रावण, परशुराम, अंगद, मेघनाथ, दशरथ, विभीषण, विदूषक एवं हास्य कलाकार के रूप में आज भी चर्चा होती है। जबकि व्यास की भूमिका में स्वर्गीय सविता पांडेय के योगदान को आज भी लोग आदरपूर्वक याद करते हैं।
समिति के प्रमुख सदस्य आशुतोष पांडेय ने बताया कि 07 अक्टूबर दिन सोमवार को मुकुटु पूजा की जायेगी तथा रामलीला का मंचन 08 अक्टूबर दिन मंगलवार से प्रारंभ हो जाएगा। रामलीला में क्रमशः नारद मोह, राम जन्म, ताड़का वध, धनुष यज्ञ, राम वन गमन, केवट संवाद, सूर्पनखा नककटैया, खरदूषण वध, सीता हरण, राम सुग्रीव मित्रता, बालि वध, लंका दहन आदि होगा। 14 अक्टूबर को यहां मेला लगेगा और दिन में ही रामलीला का मंचन अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ, अहिरावण एवं रावण वध के रूप में सम्पन्न होगा। जिसके अगले दिन 15 अक्टूबर को भगवान राम की राजगद्दी के साथ एक मनोहारी नाटक की प्रस्तुति के साथ सुनहरा रंगमंच अगले वर्ष तक के लिए बंद हो जायेगा।
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