संस्कारशाला किशोर मन की बात उठाने का बना सशक्त माध्यम
करहां (मऊ) : दैनिक जागरण का समाचारीय अभियान संस्कारशाला बच्चों में शिक्षा के साथ संस्कार भरने एवं किशोर मन की बात उठाने का एक सशक्त माध्यम बना है। बच्चों में शिक्षा व संस्कार भरना एक कुशल अध्यापक का कर्म व धर्म है। इसी प्रकार किशोरवय बालक-बालिकाओं के बदलते मनोभावों का अध्ययन कर उसके अनुरूप शिक्षा प्रदान करना भी एक शिक्षक-शिक्षिका को आना चाहिये। इन विषयों पर दैनिक जागरण की यह पहल विशेष सराहनीय है।
उक्त बातें एपीबीपी स्मृति बालिका इंटर कालेज सुरहुरपुर, मुहम्मदाबाद गोहना की प्रधानाचार्या कुसुम राय ने बच्चों के समक्ष जागरण में प्रकाशित संस्कारशाला का वाचन करने के बाद कहीं। वे प्रार्थना के दौरान संस्कारशाला की कहानी सुनाकर बच्चों के अंदर शिक्षा व संस्कार के साथ किशोर अवस्था के मनोविज्ञान पर चर्चा कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि हम शिक्षकों की एक निश्चित सीमा में बच्चों को जिम्मेदारी उठाने का मौका मिला है, जिसका हमें सकारात्मक उपयोग करना होगा। शिक्षा व संस्कार से परिपूर्ण बच्चे ही समाज, संस्कृति व परंपरा के स्वस्थ्य संवाहक बनेंगे। हमें अपने छात्र-छात्राओं को उनके देश, समाज व संस्कृति से जोड़ने वाली शिक्षा देनी है। ताकि वो अपनी जड़ों से लगाव रखें। क्योंकि संस्कृति, समाज व परम्परा से अलग हटकर व्यक्ति कहीं का नहीं रह जाता।
बताया कि अगले एक दो माह हमारी परंपरा, तीज-त्योहार से जुड़ने वाले माह हैं। बच्चों के माता-पिता को भी चाहिए कि अपनी संस्कृति, समाज, परंपरा व तीज- त्योहार के महत्व के बारे में बताएं ताकि बच्चे समाज, संस्कृति, परंपरा व उसके संस्कार से जुड़े रहें।
◆कुसुम राय, प्रधानाचार्य, एपीबीपी स्मृति बालिका इंटर कालेज सुरहुरपुर, मऊ
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