प्रभु श्रीराम के मर्यादित गुणों का अनुसरण करें विद्यार्थी : कथा व्यास विनोद सिंह
करहां, मऊ। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने मर्यादा, करुणा, सेवा, मित्रता, सत्य, धर्म और सदाचार के मार्ग पर चलकर राज्य किया। आज की पीढ़ी और बच्चों को उनके आदर्शों का अनुसरण करना चाहिये ताकि हमारे परिवार व समाज में सकारात्मक सुधार आ सके। भगवान राम का सम्पूर्ण जीवन अनुकरणीय है और श्रीराम चरित मानस एक ग्रंथ ही नहीं बल्कि अपने आप में जीवन जीने की कला है।
उक्त उद्गार नगर के अमृत पब्लिक स्कूल में दशहरा उत्सव के दौरान संगीत अध्यापक विनोद सिंह ने रामकथा सुनाते हुये व्यक्त किये। वे विजयादशमी के अवकाश के पूर्व गुरुवार को बच्चों के बीच रामचरित मानस कथा श्रवण पान करा रहे थे। जबकि संगीत साधक बच्चों ने उनके सहयोगी के रूप में कोरस गायन व वादक की भूमिका निभाई।
कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्यालय के डायरेक्टर विवेक कुमार सिंह व प्रधानाचार्या डाक्टर माया सिंह ने संयुक्त रूप से माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया। दोनों ने व्यासपीठ का विधिवत पूजन-अर्चन किया और व्यास पीठ पर विराजमान कथावाचक विनोद प्रताप सिंह का स्वागत, माल्यार्पण, अंगवस्त्रम एवं बुके भेंट कर कथा श्रवण कराने का अनुग्रह किया।
बड़े ही मधुर ढंग से व्यास की भूमिका निभा रहे विनोद सिंह ने राम कथा के दौरान राम जन्मोत्सव, बाल लीला, सीता स्वयंवर, लंका दहन, रावण वध एवं राम राज्याभिषेक की मनमोहक झांकी प्रस्तुत की। कथा के दौरान श्रीराम दरबार की मनोरम झांकी व बच्चों के गायन से माहौल राममय हो गया था। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो साक्षात प्रभु श्रीराम विद्यालय परिसर में पधारे हों।
राम राज्याभिषेक के उपरांत आरती में सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाएं शामिल हुए। इस कार्यक्रम के साक्षी रहे मुख्य यजमान विवेक कुमार सिंह ने सभी बच्चों को आर्शीवचन प्रदान कर कहा कि विजयादशमी हमें सदाचार का पाठ पढ़ाता है। श्रीरामचरित मानस सर्वोच्च कोटि का आदर्श प्रस्तुत करता है। गृहस्थ जीवन कैसे जिया जाय इसका ज्ञान कराता है। हमें अपने जीवन में श्रीराम भगवान के आदर्शों व रामायण का अनुसरण करना चाहिए। प्रधानाचार्या डॉक्टर माया सिंह ने सबके प्रति आभार प्रकट किया। इस बीच सैकड़ों बच्चों ने बड़े मनोभाव से कथा श्रवण किया।
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