मादा पशुओं के नवजात बच्चों को सुरक्षित कैसे करें : डॉ. ए.के. सिंह

मादा पशुओं के नवजात बच्चों को सुरक्षित कैसे करें : डॉ. ए.के. सिंह



              

करहाँ, मु.बाद गोहना, मऊ। सही अर्थों में नवजात शिशु की देखरेख उसके जन्म के पूर्व ही मादा के गर्भ में शुरू हो जाती है। अतः उनके जन्म के 3 महीने पहले से ही मादा को समुचित चारा दाना आवश्यकतानुसार देना चाहिए। जन्म के तुरंत बाद नवजात पशु के नाक तथा मुंह से श्लेष्मा को निकाल देना चाहिए जिससे कि वह सामान्य रूप से सांस ले सके। यदि बच्चा सामान्य रूप से सांस ना ले रहा हो तो पिछले घुटने पकड़कर उल्टा लटका देना चाहिए ताकि श्लेष्मा अथवा बलगम अपने आप बाहर निकल जाए या नाक में घास की पत्ती डालने से पशु छीकने लगता है और श्लेष्मा नाक से बाहर निकल जाती है।  इसके पश्चात बच्चे को उसकी मां के पास छोड़ देना चाहिए। सामान्यतह मां बच्चे को चाट कर उसे साफ एवं सूखा कर देती है। यदि मादा बच्चे को नहीं चाटती है तो बच्चे को किसी मोटे कपड़े या साफ बोरी से रगड़ कर साफ़ करें या सुखा दें।

उक्त उपाय मुहम्मदाबाद गोहना राजकीय पशु चिकित्सालय के उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर ए.के. सिंह ने अस्पताल पर आए कुछ मरीजों के इस विषय पर समस्या समाधान के लिए बताए। उन्होंने आगे बताया कि नवजात बच्चे के शरीर पर थोड़ा सा नमक छिड़क दें, जिससे मादा पशु बच्चे को चाटना शुरू कर दें। शरीर चाटने से बच्चे को सांस लेने में सहायत मिलती है। साधारण नाभि-सूत्र अपने आप टूट जाते हैं जहाँ पर टिंचर आयोडीन अवश्य लगाना चाहिए। अगर नाभि-सूत्र जुड़े हुए हैं तो उसे नए ब्लेड से 3 से 5 इंच रखकर काट दे और धागे से बाध कर उस पर टिंचर आयोडीन अथवा बीटाडीन लगाए। इससे किसी तरह की बीमारी न लग पाए।

डॉक्टर सिंह ने कहा कि नवजात बच्चे को जन्म के तुरंत बाद खींस पिलानी चाहिए। खींस पिलाना अति आवश्यक है क्योंकि इसमें इम्यूनोग्लोबिन होता है जो कि नवजात बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है, परंतु खीस आवश्यकता से अधिक नहीं पिलाना चाहिए। खीस दिन में तीन से चार बार उसके शारीरिक वजन के दसवें भाग की दर से पिलानी चाहिए। खींस पिलाने के 4 से 6 घंटे के अंदर बच्चों का मल विसर्जन अपने आप हो जाता है। अगर किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाता है तो आधा चम्मच अरंडी का तेल पिलाना चाहिए। नवजात बच्चों को ठंडी हवा और खराब मौसम से जरुर बचाएं तथा गर्म स्थान में रखें, जिससे कि उसे निमोनिया ना हो सके। उनके रखने का स्थान साफ-सुथरा व हवादार तथा फर्श पर बिछावन अवश्य होना चाहिए। जब बच्चा 10 दिन का हो जाए तो उसे सूखा चारा, भूसा या हरा चारा खिलाएं। इससे बच्चे को कब्ज नहीं होती है और पाचन सही रहता है।

पशुपालकों द्वारा सवाल पूछे जाने पर उप मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि जब बच्चा लगभग 15 दिन का हो जाए तब उसे अंत में कृमि नाशक औषधि पिलानी चाहिए। इससे बच्चा स्वस्थ रहेगा तथा उसकी वृद्धि अच्छी होगी। जब बच्चा 3 से 4 माह का हो जाए तो उसे बीमारियों के टीके लगवाने चाहिए। जब बच्चा एक माह का हो जाए तो उसे प्रतिदिन 100 ग्राम संतुलित पशु आहार देना चाहिए। दूसरे महीने से 200 ग्राम, तीसरे महीने से 300 ग्राम, चौथे महीने से 400 ग्राम, पांचवे महीने से 700 ग्राम, तथा छठे महीने से 1 किलोग्राम संतुलित पशु आहार प्रतिदिन देना चाहिए। यह आहार 2 साल की अवस्था तक लगभग 1 किलोग्राम प्रति दिन देना चाहिए और समय-समय पर छुआछूत की बीमारियों के बचाव हेतु टीका अवश्य लगवाना चाहिए।

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