श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण की लीलाओं का सुनाया गया वृतांत
करहाँ, मऊ। मुहम्मदाबाद गोहना विकास खण्ड के देवरिया खुर्द ग्राम स्थित प्राचीन शिवालय एवं जलाशय के निकट चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन वृंदावन से पधारे पंडित पवन गौतम शास्त्री ने कथा रसपान कराते हुए पूतना वध, तृणावर्त उद्धार, उखल बंधन, कृष्ण ग्वाल-बाल संग माखन चोरी एवं गऊ चारण, गोपियों के संग रासलीला का वर्णन किया।
प्रातः के सत्र में मुख्य यजमान सपत्निक धर्मनाथ सिंह द्वारा यज्ञ मंडप में वेदी पूजन व हवन कराया गया साथ ही ब्राह्मणों द्वारा परायण पाठ भी चल रहा है। यज्ञ मंडप की श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा भक्ति से परिक्रमा की जा रही है। जबकि शाम के कथा सत्र में संगीतमय कथा सुनाई जा रही है। पंडित पवन गौतम ने कहा कि संतों ने जब कृष्ण की लीलाओं का दृश्य देखा तो उन्होंने इसका इतना सुंदर वर्णन किया। शेष, महेश, गणेश, सुरेश हो जाए निरंतर ध्यामें ताहि अखंड अनादि अच्छेद सुवेद बतावें। नारद से सुख व्यास रहे पिचिहारि कोई पुनि पारन पावें, ताहि अहीर की छोरियां छछियाभरि छाछ में नाच नचावें। गौतम शास्त्री ने प्रसंग के बाद अघासुर वध, बकासुर वध, कालिया नाग नथैया का वृतांत सुनाया। गिरिराज भगवान को 56 भोग भी अर्पित किया गया। कथावाचक ने बताया कि 7 वर्ष के कृष्ण ने 7 दिन तक अपनी उंगली की नख पर गोवर्धन पर्वत को धारण किया तभी भगवान श्रीकृष्ण का नाम गिरधारी पड़ा। आज भी वह जगह मथुरा के समीप गोवर्धन नाम से गिरिराज भगवान के मंदिर के रूप में विराजमान है। श्रीमद्भागवत कथा में प्रतिदिन देवरिया सहित आसपास के गांवों के अनेकों श्रद्धालुभक्त भाग ले रहे हैं।
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