रुक्मिणी साक्षात लक्ष्मी का अवतार : पंडित महेशचंद्र

रुक्मिणी साक्षात लक्ष्मी का अवतार : पंडित महेशचंद्र


करहाँ, मऊ। स्थानीय तहसील अंतर्गत नगपुर में चल रही भागवत कथा के छठवें दिन कथाप्रवक्ता पंडित महेशचंद्र मिश्र ने रुक्मिणी विवाह का कथा प्रसंग सुनाया। बताया कि विदर्भ नरेश भीष्मक हुए जिनकी पुत्री का नाम रुक्मणी है। वह कृष्ण कन्हैया से बहुत प्रेम करती हैं। रुक्मणी साक्षात लक्ष्मी का अवतार हैं। रामरूपे भवेत सीता रुक्मिणी कृष्ण जन्मनि। रामावतार में लक्ष्मी सीता बनकर आयीं और कृष्णावतार में रुक्मिणी बनकर आयी। 

कथाप्रवक्ता ने बताया कि रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने उनका विवाह शिशुपाल से तय कर दिया था। रुक्मणी ने द्वारिकाधीश को पत्र लिखा कि हे प्रभु मैंने जब से नारद जी के द्वारा आपके गुणों को सुना है, मेरे सारे संताप नष्ट हो गए। अब आपकी यह दासी दर्शन की अभिलाषी है। जैसे कोई सियार सिंह का भाग ले जाना चाहता है, उसी प्रकार मेरा विवाह शिशुपाल से हो रहा है। आप मुझे यहां से ले जाइये। पत्र सुनकर कन्हैया गये और कुलदेवी के मन्दिर से रुक्मिणी का हरण कर लिया। द्वारिका पुरी में धूमधाम से श्रीकृष्ण रुक्मिणी का परिणय संस्कार सम्पन्न हुआ।

श्रीमद्भागवत यज्ञ के पूर्वाह्न सत्र में आचार्यद्वय पंडित आशीष तिवारी व विनीत पांडेय ने मुख्य यजमान इंदूमती देवी व अखिलानंद द्विवेदी से वेदी पूजन करवाकर आहुति निवेदित की। इसके बाद परायण के साथ श्रद्धालुओ ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की। अपराह्न सत्र की कथा में सुधाकर द्विवेदी, प्रदीप कन्नौजिया, मुकेश त्रिपाठी, अजय द्विवेदी, प्रभुनाथ राम, मुन्ना त्रिपाठी, राकेश तिवारी, अवधनाथ राम, राजकुमार तिवारी आदि मौजूद रहे।

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