पुत्र द्वारा पिता को अधोगति से बचाना विलक्षण व पुनीत कार्य : स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती

पुत्र द्वारा पिता को अधोगति से बचाना विलक्षण व पुनीत कार्य : स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती

करहाँ, मऊ। जनपद मुख्यालय के बकवल स्थित आम्रपाली सभागार में गीता जयंती महोत्सव पर चल रही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन परमहंस परिव्राजकाचार्य स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने भक्त प्रहलाद की कथा सुनाते हुए कहा कि जगत पिता परमेश्वर को प्रसन्न कर लेना एक बात है, परन्तु जन्म देने वाले पिता को पुत्र द्वारा अधोगति से बचाकर कल्याण हेतु मोक्ष दिलाकर सम्पूर्ण कुल का कल्याण करा देना एक विलक्षण व पुनीत कार्य है। श्रीमद्भागवत संहिता ईश्वर भक्ति और पितृ भक्ति का अद्भुत संगम हैं। भक्त प्रहलाद की सर्वत्र भगवदमयी दृष्टि ने जहाँ खम्भे से भगवान नरसिंह को प्रगट कर दिया वहीं अधोगति प्राप्त पिता का भी कल्याण कर दिया।

स्वामी जी ने बताया कि ईश्वरसत्ता सर्वत्र व्याप्त है। धरती, आकाश, पाताल का कोई भी कण खाली नहीं है। नृसिंहावतार के नृसिंहदेव ने स्तम्भ से प्रगट होकर अपनी सर्वत्र व्याप्ति को सिद्ध कर  दिया। अतएव भक्त अपने भगवान की आराधना कहीं भी करे; घर में, वन में, तीर्थ में, मन में या देवालय में.. यत्र तत्र सर्वत्र सर्व व्याप्त सनातन परमात्मा सुनता है, बोलता है और क्रीड़ा करता है अर्थात सगुण रूप में प्रगट होकर भक्त का मनोरथ पूर्ण कर देता है। प्रह्लाद की पितृ उद्धार की दृष्टि ने पिता हिरण्यकशिप को अधोगति से बचाने का उपाय ढूंढ लिया। प्रहलाद जी ने कहा प्रभु माना कि मेरा पिता आसुरी स्वभाव वाला क्रूर कर्मा दैत्य था लेकिन मेरा शरीर तो उसी दैत्य पिता की देन है। इसलिए आप सनातन धर्मा प्रभु से प्रार्थना करता हूं कि पिता की दुर्गति नही  होनी चाहिए। भक्त प्रहलाद्  की वाणी सुनकर नृसिंहदेव मुस्कराये और भक्त प्रहलाद के मस्तक पर अपना अमोघ वरद्हस्त रखकर कृपालु बोल उठे। तूं चिन्ता मत कर, तूं मेरा भक्त है; मै तेरे एक पिता नही 21 पीढ़ी के पिता-पितामहों को तत्काल सद्गति प्रदान कर देता हूं। इस तरह भक्त प्रहलाद ने पितृ भक्ति की दृढ़ प्रतिष्ठा कर दी।

इसी क्रम में स्वामीजी महाराज ने बताया कि भक्त प्रहलाद के पौत्र महाराज बलि ने अपना सर्वस्व श्रीवामन देव को देकर ऐसा प्रसन्न कर लिया कि वे श्रीहरि का चतुर्भुज रूप प्रतिप्रभात  राजप्रसाद के प्रतिद्वार पर दर्शन देने के लिए संकल्पबद्ध  हो गये। इस अवसर पर तीर्थराज प्रयाग से आये हुए संगीतज्ञ बन्धुओं संगीत पाण्डेय, शुभम, जीतू पाण्डेय, विभांशु द्विवेदी, प्रकाश त्रिपाठी की भजन माधुरी ने श्रद्धालुओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर मुख्य यजमान उर्मिला सिंह, ख्यातिप्राप्त सर्जन डाक्टर एस.सी. तिवारी, भाजपा घोसी लोकसभा प्रभारी देवेन्द्र सिंह, सुधा श्रीवास्तव, हरिश्चंद्र द्विवेदी, सुनीता सिंह, डाक्टर यूपी द्विवेदी, धीरेंद्र सिंह, संजीव द्विवेदी, रमेश राय, आशुतोष सहित सैकड़ों स्त्री-पुरुष श्रद्धालुभक्त उपस्थित रहे। पूर्वाह्न सत्र में यज्ञमण्डप में आचार्यगण पंडित धनंजय, अभिषेक, गौरव व शुभम के द्वारा मुख्य यजमान उर्मिला सिंह के हाथों पूजन व हवन कराया गया। भागवत के परायण सहित भक्तो ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की जबकि अपराह्न सत्र में श्रद्धालुओ ने कथा श्रवण की। पूजन व कथा में विमल मिश्र, प्रियव्रत व सत्यव्रत ने सहयोग किया।

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