देव, पितृ कार्य में प्रमाद नहीं करना चाहिए : स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती
करहाँ, मऊ । मुहम्मदाबाद गोहना ब्लॉक के नगपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा की पूर्णाहुति में देश के प्रख्यात शांकर सन्यासी परिव्राजकाचार्य स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज का आगमन हुआ। कथा के मुख्य यजमान प्रभुनाथ राम ने ग्राम, कुटुम्ब वासियों समेत स्वामी जी का जनपद की सीमा पर पहुंच स्वागत कर जुलूस की शक्ल में लेकर यज्ञ स्थल पर पहुंचे। स्वामी जी सीधे सबसे पहले यज्ञ मंडप में गए और सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा की पूर्णाहुति में भाग लिया। पंडित महेश चंद्र मिश्र, आचार्य विनीत पांडेय, आचार्य मनीष तिवारी ने स्वामी जी की उपस्थिति में पुर्णाहुति कार्य सम्पन्न करवाया। सबने पुर्णाहुति प्रसाद एवं सायंकाल भंडारे का महाप्रसाद ग्रहण किया और पुण्य के भागी बने।
उपस्थित सैकड़ो श्रद्धालुओं को आशीर्वचन प्रदान करते हुए स्वामी जी ने कहा कि देव एवं पितृ कार्यो में प्रमाद नहीं करना चाहिए। "देव, पितृ कार्य न प्रमतव्यम।"
उन्होंने कहा कि देव कार्य से भी बढ़कर पितृ कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। देवी-देवता की पूजा न कर सकें तो कोई बात नहीं लेकिन अपने पूर्वजों को हमेशा याद करना चाहिए। यदि पितृ गण खुश हों तो परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इसलिए जीवन काल में कम से कम एक बार गया तीर्थ धाम में श्रद्धापूर्वक श्राद्ध कर्म करके श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ का आयोजन करना चाहिए। जब भगवान और पितरों की विशेष कृपा होती है तब हमें कथाप्रसाद का सौभाग्य मिलता है।
इस अवसर पर श्यामप्यारी देवी, पंडित हरिओम शरण, शशिभूषण मौर्य, आशीष चौधरी, राहुल सिंह, मनीषा कन्नौजिया, वीरेंद्र मद्धेशिया, किशुन चौहान, जितेंद्र कन्नौजिया, सरस्वती सिंह, बबलू श्रीवास्तव, प्रदीप चौधरी, पन्ना देवी, इन्द्रराज यादव, श्यामबिहारी जायसवाल आदि सैकड़ो स्त्रीपुरुष श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
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