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जन्म जन्मांतर के पुण्यफल से मिलता है कथा प्रसाद : स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती


जन्म जन्मांतर के पुण्यफल से मिलता है कथा प्रसाद : स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती


नगपुर में श्रीमद्भागवत कथा की पूर्णाहुति में पहुंचे प्रख्यात शांकर सन्यासी


जनपद की सीमा पर सैकड़ों भक्तों ने किया स्वागत, जुलूस की शक्ल में यज्ञस्थल पर लाए


करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना विकास खंड के नगपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन पूर्णाहुति के अवसर पर भारत राष्ट्र के प्रख्यात शांकर सन्यासी परमहंस परिव्राजकाचार्य स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज का पावन सानिध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने उपस्थित सैकड़ो भक्तों को आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि जब जन्म जन्मांतर के पुण्य फल उदित होते हैं तो भगवत कथा का प्रसाद प्राप्त होता है।

उन्होंने विस्तार करते हुए कहा कि यह सारा कुछ पूर्वजों के आशीर्वाद एवं मां भगवती पराम्बा की असीम कृपा अनुग्रह से फलित होता है। श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव 21 पीढ़ी के पितरो को शांति प्रदान करती है। इस कथा का जो आयोजक होता है वह भी और जो सुनता है वह भी दोनों महान पुण्य के भागी बनते है। कहा कि कभी भी हमें देव एवं पितृ कार्य में प्रमाद नहीं करना चाहिए। "देव पितृ कार्यम न प्रमतव्यम।"

आप सभी बड़े भाग्यवान और पुण्यवान हैं जो भगवान योगेश्वर कृष्ण के अतिप्रिय माह मार्गशीर्ष में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान कथा यज्ञ का फल प्राप्त किये हैं क्योंकि भगवान ने स्वयं कहा है कि "मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूँ।" ऐसे आयोजन का संकल्प, श्रवण एवं वरण करने वाले सभी मोक्ष प्राप्त करते हैं। इसलिए आप सभी इस कथा की पूर्णाहुति के साक्षी बने हैं। क्योंकि सनातन धर्म में सब कुछ पूर्ण है। "पूर्णमिदह पूर्णमिदं पूर्णात पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।"

स्वामी जी महाराज ने बताया कि इस यज्ञ का आरंभ वरुण पूजन से होता है और पूर्णाहुति नारियल से होती है। जो व्यक्ति अपने पितरों के लिए "तर्पण, होम करहिं विधि नाना।" वह भगवान और पितरों का कृपापात्र बन जाता है।

इसके पूर्व यज्ञ के मुख्य यजमान प्रभुनाथ राम ने कुटुम्ब, गांव-क्षेत्रवासियों सहित सैकड़ों लोंगो के साथ स्वामी जी का आजमगढ़-मऊ जनपद की सीमा पर स्वागत कर उन्हें शोभायात्रा के रूप में यज्ञ स्थल तक लाये। ढोल-नगाड़े, गाजे-बाजे, ध्वज-पताका एवं जयघोष करते हुए सैकडों भक्तों ने गाड़ियों के काफिले के साथ स्वामी जी पहुंचे। अखिलानंद द्विवेदी, आशीष चौधरी, किशुन चौहान, अरुण त्रिपाठी, श्यामप्यारी देवी, हरिओम शरण, राहुल सिंह, श्याम चौबे, प्रदीप कुमार, बबलू श्रीवास्तव, रमेश सिंह, सरस्वती देवी आदि सैकड़ो श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे। स्वामी जी सीधे सबसे पहले यज्ञ मंडप में गए और सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा की पूर्णाहुति में भाग लिया। पंडित महेश चंद्र मिश्र, आचार्य विनीत पांडेय, आचार्य मनीष तिवारी ने स्वामी जी की उपस्थिति में पुर्णाहुति कार्य सम्पन्न करवाया। सबने पुर्णाहुति प्रसाद एवं सायंकाल भंडारे का महाप्रसाद ग्रहण किया और पुण्य के भागी बने।

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