"सबकी आँखें नम हैं तेरे बिन उदास परिवेश है, कवि श्रीराम सिंह तेरे सन्मुख नतमस्तक यह क्षेत्र हैं।"
कवि श्रीराम सिंह 'अतुल' को काव्यांजली पूर्वक दी गई श्रद्धाजंली
करहाँ, मऊ। प्रारब्ध, पुरुषार्थ, परिश्रम, जिम्मेदारी, साधना, भक्ति और रचनाधर्मिता की पराकाष्ठा प्राप्त करने वाले जनपद के सलाका पुरुष व वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय श्रीराम सिंह अतुल के त्रयोदशाह संस्कार पर उन्हें काव्यांजलि पूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मुहम्मदाबाद गोहना तहसील अंतर्गत सुल्तानीपुर के प्रतिष्ठित नागरिक व पूर्व ग्राम पंचायत सचिव श्रीराम सिंह जिन्हें प्यार से लोग दादा कहते थे उनका पिछले दिनों निधन हो गया था। श्रद्धांजलि सभा मे जुटे कई जनपदों के विभिन्न ख्यातिप्राप्त लोंगो ने उनकी स्मृतियों का वर्णन करते हुए पुष्पांजलि निवेदित की।
स्वर्गीय श्रीराम सिंह के बड़े दामाद जो वर्तमान में आदित्य बिड़ला ग्रुप ऑफ एजुकेशन रेणूसागर में प्रधानाचार्य और देश के जाने माने रचनाकार ब्रजेश कुमार सिंह हैं, उन्होंने श्रद्धांजलि सभा का मंच संचालन किया। कहा कि कवि कभी मरता नहीं है। वह हमेशा अपनी रचनाओं के माध्यम से लोंगो की यादों में ज़िंदा रहता है- "मेरा अपना तजुर्बा है, इसे सबको बता देना, हिदायत से तो अच्छा है किसी को मशवरा देना; अभी हम हैं हमारे बाद भी होगी हमारी बात, कभी मुमकिन नहीं होता किसी कवि को मिटा देना।"
कविहृदय श्रीराम सिंह से बेहद आत्मिक लगाव रखने वाले क्षेत्र के प्रख्यात मंच संचालक व लेखक कुँवरश्री अजीत ने स्मृतिशेष दादा की स्मृति में कहा कि- "सबकी आँखें नम हैं तेरे बिन उदास परिवेश है, कवि श्रीराम सिंह तेरे सन्मुख नतमस्तक यह क्षेत्र हैं।"
इस मौके पर स्वर्गीय श्रीराम सिंह की बड़ी नातिन व किशोरवय लेखिका श्रुति सिंह 'अथर्वा' ने कहा कि नानाजी के व्यक्तित्व की व्याख्या मैं जितनी भी करूं वह कम होगी। आज मैं अगर अपनी स्वयं की कविता लिख और सुना पाती हूं तो यह मेरे नानाजी की ही प्रेरणा और मेरे शरीर में बहते उनके रक्त संचार की देन है। जिस उम्र में बच्चे 'मछली जल की रानी है' कविता याद करते हैं, उस उम्र में मैं उनकी लिखी कविता "हम हैं नन्हे फूल डाल पर खिलकर के मुस्कायेगें" पढ़ती और गुनगुनाती थी। उनके कवि उपनाम 'अतुल' की तरह वह निश्चित ही अतुलनीय रहेंगे। कहा कि- "हृदय साझा न कर पाई व्यथा जिनसे बिछड़ने की, समेटे स्नेह दिल में वो खुशबू से बिखरते थे; लुटाते थे प्रभु की साधना में स्वांस हर पल जो, कलम से प्रश्न करते वो 'अतुल श्रीराम' लिखते थे।" बिटिया अथर्वा ने जब अपने नाना श्रीराम सिंह अतुल की लिखी यह लाइन भावुकता के साथ पढ़ी तो सबकी आँखें नम हो गईं- "रहूंगा मैं नहीं कल गुलिस्तां में ग़म नहीं करना, हवाओं में अतुल मेरी वही आवाज़ आयेगी; संजोकर खुशबुएं सारी हवा में गीत भर दूंगा, किसी दिन ये हवा भी गीत मेरे गुनगुनायेगी।"
जनपद ने वरिष्ठ साहित्यकार अशोक कुमार 'अश्क' ने कहा कि स्वर्गीय श्रीराम सिंह 'अतुल' बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह सरकारी सेवा में रहते हुए सामाजिक दायित्वों का निर्वहन बखूबी किये और साथ ही साहित्यिक सृजन कर इस क्षेत्र में एक ख़ास मुकाम हासिल किये। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से यह साबित किया कि एक साहित्यकार कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक सोच रखता है- "लाख जतन कर देख लिया, उनको जी भर देख लिया; चिड़ियों के शैदाई ने, काट लिये पर देख लिया।"
आर्यमगढ़ से पधारे पूर्वांचल के प्रख्यात कथावाचक डाक्टर मंगला सिंह ने कहा कि स्वर्गीय बाबू श्रीराम सिंह से विभिन्न समारोहों में अक्सर मुलाकात होती थी। उनके आहार, व्यवहार, विचार, कुशल मंच संचालन व प्रभावी काव्यशैली से मैं बेहद प्रभावित रहता था। आज जरूरत है उनके परिजनों को उनके गुणों को अनुकरण करने की। वे सरकारी सेवा में रहते हुए हमेशा जरूरतमंदों के काम आते थे- "बदल दे जिंदगी को जो उसे हम ज्ञान कहते हैं, क़यामत तक रहे कायम उसे ईमान कहते हैं; जो देता कष्ट औरों को उसे शैतान कहते हैं, जो आता काम औरों के उसे इंसान कहते हैं।
रानीपुर ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अरुण कुमार सिंह ने कहा कि एडीओ रहते हुए भी श्रीराम सिंह दादा अपने सामाजिक कार्यों से समाज मे अपनी गहरी छाप छोड़े। हमारा संबंध तो बेहद पारिवारिक है। इस दुख की घड़ी में हम सभी उनके परिवार के साथ खड़े हैं।
सुल्तानीपुर के पूर्व ग्राम प्रधान सत्यनारायण यादव ने दादा की स्मृतियों को याद करते हुए उनके योगदान की चर्चा की तथा समस्त ग्रामवासियों से उनके आचरण से प्रेरणा लेने की अपील की।
कांग्रेस नेता अजय गुप्ता ने कहा कि दादा वरिष्ठ रहते हुए भी हर जाति, धर्म, उम्र के लोंगो के साथ घुल-मिल कर सामंजस्य बना लेते थे। हमें उनके साथ कोई भी बात साझा करने में संकोच नहीं होता था और वे उसका चुटकियों में समुचित समाधान भी कर देते थे।
श्रद्धांजलि सभा को डॉक्टर सरोज सिंह, पूर्व शिक्षक ओमप्रकाश सिंह, बृजेश सिंह, अध्यापक विजय नरायन यादव, रामजी सिंह, संजीव कुमार, विनोद सिंह, राजीव सिंह आदि ने भी संबोधित किया।
दिवगंत रचनाकार स्वर्गीय श्रीराम सिंह दादा के सुपुत्र मयंक शेखर सिंह 'बिट्टू' ने नम आँखों से सबके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की एवं स्वर्गीय पिताजी के पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर अवधेश सिंह, चिंता सिंह, कल्पनाथ सिंह, बिनीता सिंह, धनंजय कुमार, नीता सिंह, आशीष सिंह, मनीषा सिंह बबली, गुरुदत्त, सुष्मिता सिंह शिप्रा, शिवशंकर सिंह, संतोष सिंह, विनोद सिंह, अरुण कुमार, रामअवतार, उदयवीर सिंह समेत सैकड़ों गणमान्य आगत अतिथिगण मौजूद रहे।
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