ॐ नमः शिवाय, प्राचीन शिव मंदिर, बरहदपुर कुटी, मु.बाद
करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना से एक किलोमीटर पश्चिम मऊ-आजमगढ़ फोरलेन के ठीक किनारे पत्थर से बना यह प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। मंदिर के सामने इसके समकालीन पुराना पक्का पोखरा भी है। सड़क के दूसरे किनारे पर भव्य रामजानकी मंदिर और सुप्रसिद्ध किशुनदास बाबा की कुटी है। वर्षभर यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है।
मंदिर का इतिहास : मंदिर की स्थापना वर्ष 1904 में एक निषाद परिवार द्वारा की गई थी। मुहम्मदाबाद गोहना के स्वर्गीय विश्वनाथ मल्लाह को कोई संतान नहीं थी। तब वह यहां संत सम्राट किशुन दास बाबा के यहां आए। उनके कहने पर उन्होंने यहां एक मंदिर और एक अट्ठवासा कुंआ का निर्माण करवाया। उसके बाद उन्हें संतान हुई। तबसे लेकर अब तक यह स्थान मल्लहिया की कुटिया और प्राचीन शिव मंदिर के नाम से विख्यात है। इनके पूजन-अर्चन से वंशवृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मंदिर की विशेषता : यहां हर शिवरात्रि पर भगवान शिव की बारात और भाद्रपद अष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसमें बरहदपुर, बनियापार, खैराबाद, चलिसवां, सुतरहीं आदि गांवों के लोग यहां दर्शन-पूजन करने आते हैं। यहां हर वर्ष श्रीरामचरित मानस पाठ एवं अखंड रामनाम संकीर्तन का आयोजन किया जाता है। सावन में सोमवार को यहां सभी माताएं-बहने आकर भगवान शिव का जलाभिषेक एवं दुग्धाभिषेक अर्पित करती हैं।
●यह मंदिर पुराने पत्थरों से बना है, जबकि पोखरा एवं अन्य आश्रम का हिस्सा सुर्खी-चूना से निर्मित है। इस रमणीक और पुराने शिवालय में पूजन-अर्चन करना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है। महादेव सबका मंगल करें।
◆सतिराम प्रजापति, पुजारी●किशुनदास बाबा की कुटी से लेकर शिव मंदिर स्थान पर वर्ष भर श्रद्धालु व भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। यहा बहुत सारे मांगलिक एवं धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। हम सभी सदैव मंदिर की सेवा में तत्पर रहते हैं।
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