मिटा दो अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहो : हरिश्चंद्र दूबे
◆शिक्षक दिवस पर किंग्स इडेन इण्टरनेशनल स्कूल में गुरु-शिष्य परंपरा की तीन पीढ़ियों का लगा समागम
◆टाउन इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य हरिश्चंद्र दूबे ने शिक्षकों को किया सम्मानित
करहां (मऊ) : "मिटा दे अपनी हस्ती को, अगर कुछ मर्तबा चाहो; कि दाना खाक में मिलकर गुले गुलज़ार होता है।" उक्त उद्गार मुहम्मदाबाद गोहना के सुप्रसिद्ध टाउन इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य व प्रख्यात प्रवक्ता हरिश्चन्द्र दूबे ने व्यक्त किया। वे गालिबपुर स्थित किंग्स इडेन इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षक दिवस पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने अनेक ट्यूशन व कोचिंग के अध्यापक-अध्यापिकाओं व विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं को सम्मानित किया। बच्चों से मुखातिब होते हुये उन्होंने कहा कि यदि तू कुछ प्राप्त करने का इच्छुक है, तो अपने अस्तित्व को अर्थात अपनी अहंकार को पूरी तरह मिटा दो; क्योंकि दाना या बीज जब मिट्टी में पूर्ण रूप से मिल जाता है अर्थात अपने आपको मिटा देता है, तभी वह पौधा बनके फलता-फूलता है। इसलिए यदि कुछ बनने की अभिलाषा है, तो स्वयं को मिटा दो अर्थात अहंकार का त्याग कर दो। अहंकार की भावना जीव के उपार्जन को पलभर में नष्ट कर देती है। कहा कि माता-पिता की आज्ञा का पालन व उनकी सेवा आपको अनंत उचाईयों पर ले जायेगी। माता-पिता के आशीर्वाद में असीम शक्ति होती है। जो बच्चा माता-पिता की सेवा करेगा, उनके पैर दबायेगा, उसकी उन्नति को कोई नहीं रोक सकता।
श्रीदूबे ने शिक्षकों से कहा कि आप कोई भी विषय पढ़ायें परंतु थोड़ा समय निकालकर बच्चों को देश व समाज के प्रति संस्कारित करने का अवश्य प्रयास करें। इससे उनके अंदर नैतिक गुणों का विकास होगा। उन्होंने संस्था के संचालक व अपने शिष्य डॉक्टर प्रवीण मद्धेशिया की भावधारा के अनुसार संस्था को आगे बढ़ता हुआ बताया और सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद दिया।
इसके पहले स्कूल के चेयरमैन डॉक्टर प्रवीण मद्धेशिया, डायरेक्टर डॉक्टर मोनिका गुप्ता, प्रधानाचार्य राजीव थॉमस, उप प्रधानाचार्या स्तिमी मारिया व कुश कुमार सिंह ने गणमान्य आगत अतिथियों का स्वागत किया।
किंग्स इडेन इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन डॉक्टर प्रवीण मद्धेशिया ने अपने गुरुजनों हरिश्चंद्र दूबे, लालचंद्र तिवारी, डी.एन. सिंह से शिक्षक दिवस समारोह का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ कराया।
उनके द्वारा डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत करवाई गई।
बच्चों ने इस मौके पर अनेक रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां प्रस्तुत की। सबने मिलकर देश के प्रथम उप राष्ट्रपति, भारत रत्न महान शिक्षाविद व भारत राष्ट्र के दूर राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस का केक काटकर बच्चों संग उत्सव मनाया।
अपने तीनो गुरुओं को अंगवस्त्र, माल्यार्पण व पुष्पगुच्छ प्रदान कर चरण वंदन के पश्चात चेयरमैन डॉक्टर प्रवीण मद्धेशिया ने अपने संबोधन में गुरु-शिष्य परंपरा एवं शिक्षक विषय पर प्रकाश डाला।
कहा कि दोनों ही शब्द भारतीय शिक्षा और सांस्कृतिक परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, लेकिन इनके अर्थ और भूमिका में सूक्ष्म अंतर है। गुरु शब्द संस्कृत से आया है, जिसका अर्थ होता है "अंधकार को दूर करने वाला।" गुरु व्यक्ति की जीवन यात्रा में ज्ञान, मार्गदर्शन और आत्मिक विकास में सहायता करता है। गुरु का संबंध केवल शैक्षिक ज्ञान तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन करता है। गुरु शिष्य के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है और उसकी आत्मा को जाग्रत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय परंपरा में गुरु का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण और आदरणीय होता है।
वहीं शिक्षक शब्द का अर्थ होता है "जो शिक्षा देने वाला होता है।" शिक्षक का मुख्य कार्य शिक्षा प्रदान करना होता है, विशेष रूप से औपचारिक और व्यवस्थित शिक्षा के संदर्भ में। शिक्षक विद्यार्थियों को विषय विशेष का ज्ञान, समझ और कौशल प्रदान करते हैं। शिक्षक का काम मुख्यतः शैक्षिक संस्थानों में होता है, जहां वे पाठ्यक्रम और परीक्षा के अनुरूप पढ़ाई कराते हैं।
संक्षेप में, गुरु का दायरा आध्यात्मिक, नैतिक, और जीवन मूल्यों तक विस्तृत होता है, जबकि शिक्षक का मुख्य उद्देश्य औपचारिक शिक्षा और विषय विशेष का ज्ञान प्रदान करना होता है। दोनों ही व्यक्ति के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन उनकी भूमिकाएं और योगदान भिन्न-भिन्न होते हैं।
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