ध्रुव चरित्र की कथा सुन भावविभोर हुए श्रोता

ध्रुव चरित्र की कथा सुन भावविभोर हुए श्रोता

करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना तहसील क्षेत्र के तिवारीपुर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन कथा प्रवक्ता महेश चंद्र मिश्र ने ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि जो भक्त भगवान पर पूर्ण रुप से समर्पित हो जाता है, भगवान भी उसके हो जाते हैं। इसलिए हम सभी को इसी संसार से अपना भरण-पोषण करते हुये भी अपना समर्पण ईश्वर के प्रति बनाये रखना चाहिए। संसार से आसक्ति नहीं, विरक्ति होनी चाहिये।

कथा विस्तार के क्रम में उन्होंने बताया कि मनु और शतरूपा के दो पुत्र थे प्रियव्रत और उत्तानपाद। उत्तानपाद महाराज की दो रानियां थीं सुनीति और सुरूचि। सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव था। सुरुचि राजा को अत्यंत प्रिय थी। एक दिन ध्रुवजी अपने पिता की गोद में बैठ गये तो सुरुचि ने उनको गोद से उतार दिया और कहने लगी कि तुम राजा की गोद में बैठने के अधिकारी नही हो। ध्रुवजी ने कहा क्या राजा उत्तानपाद हमारे पिता नही है। सुरुचि ने कहा ये आपके पिता तो है पर मैं आपकी माँ नहीं हूँ। तुमने अभागिन सुनीति के गर्भ से जन्म लिया है। राजा की गोद में बैठना चाहते हो तो भगवान का भजन करो और उनसे वरदान माँगो कि हमारे उदर से आपको जन्म दें।

रोते हुए ध्रुवजी अपनी माँ के पास गये मां ने अपने पुत्र को समझाया कि बेटा किसी का अमंगल नहीं सोचते। सब अपने कर्मों का फल भोगते हैं और छोटी मां ने ठीक ही तो कहा तूने मुझ अभागिनी के गर्भ से जन्म लिया और उसने जो कहा कि भगवान का भजन करो यह भी ठीक कहा। भगवान प्रसन्न हो जायेंगे तो पिता क्या वह परमपिता अपनी गोद में बिठा लेंगे। इसके बाद पांच वर्ष की उम्र में ध्रुवजी जंगल चले गए और बीच में उन्हें नारद जी मिले। ओम नमो भगवते वासुदेवाय का मंत्र दिल में लेकर वह मधुवन में तप करने लगे। तपस्या के पांचवे महिने में ध्रुव ने सांस लेना बंद कर दिया और स्वांस को जीत लिया। सभी देवता घबराने लगे भगवान ने कहा आप चिंता न करे मेरा भक्त मुझे पाने के लिए तप कर रहा है। अंत में भगवान दर्शन देने नही अपने भक्त के दर्शन करने आये। ध्रुवजी बडे प्रसन्न हुये उनके कपोल से भगवान ने अपना शंख स्पर्श कराया तो पांच वर्ष का ध्रुव बोलने लगा। बाद में ध्रुव ने 36 हजार साल तक राज किया और अंत में मृत्यु के सिर पर पैर रखकर परमधाम को गये।

तीसरे दिवस की कथा के दौरान मुख्य रुप से पंडित विमल मिश्र, शुभम आचार्य, मुख्य यजमान विजयबहादुर तिवारी व ज्ञानती देवी, डाक्टर अशोक तिवारी, दिनेश मिश्र बीनू, तेजप्रताप तिवारी सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

Post a Comment

Previous Post Next Post