देवताओं को भी दुर्लभ है श्रीमद्भागवत कथा
करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के भाँटीकला, तिवारीपुर व क्षेत्रान्तर्गत सुहवल में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। भाँटीकला में पंडित ललित नारायण गिरी, तिवारीपुर में पंडित महेश मिश्र व सुहवल में भागवत रसिक आचार्य धनंजय पांडेय ने श्रद्धालु श्रोतागणों को द्वितीय दिवस की कथा श्रवण कराई। कथा में बताया गया कि जिस व्यक्ति पर ईश्वर व पूर्वजों का विशेष अनुग्रह होता है, सिर्फ उसे ही श्रीमद्भागवत कथा करवाने और सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से 21 पीढ़ी के अतृप्त पितरों को मोक्ष हो जाता है। यह कथा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की कथा है। यह कथा देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। "सुराणामपि दुर्लभा।"
कथा में आगे बताया गया कि शुकदेवजी महाराज मृत्युलोक में जन्में राजा परीक्षित को भागवत की कथा सुना रहे थे। उसी समय वहाँ देवता उपस्थित हो गये। देवताओं ने शुकदेवजी को प्रणाम किया और कहा कि हम अमृत कलश लेकर आये हैं। यह राजा परीक्षित को पिला दीजिये और हम सभी को कथा सुधामृत पान करा दीजिये। शुकदेव जी ने कहा "क्व सुधा क्व कथा लोके क्व काचः क्व मणिर्महान॥ कहाँ सुधामृत काँच का टुकड़ा और कहाँ कथामृत मणि। विनिमय तो बराबर वाली वस्तु से किया जाता है-? इसपर उन्होंने देवताओं को डाँटकर भगा दिया। ब्रह्माजी के पास जाकर देवताओ ने कहा कि- महाराज शुकदेवजी ने हमको कथामृत पान नही कराया। जबकि वह राजा परीक्षित को कथा सुना रहे हैं। ब्रह्माजी ने तराजू में रख कर अन्य साधनो को भागवतजी के बराबर तौलना चाहा पर स्वर्ग के सारे साधन न्यून हो गये।
इस विषय पर कथा के दौरान बताया गया कि जो परमात्मा श्रीकृष्ण का साक्षात वाङमय स्वरूप है उससे अन्य साधनों की समता हो ही नहीं सकती। द्वितीय दिवस की कथा में ब्लॉक प्रमुख रानू सिंह ने व्यासपीठ का पूजन किया। इस मौके पर मुख्य रूप से गौरव मिश्र, शुभम आचार्य, विमल मिश्र, चन्द्रकान्त तिवारी, पंडित, कुलदीप मुख्य यजमान मनोज सिंह, विजय बहादुर तिवारी, रामअवतार सिंह, डाक्टर अशोक तिवारी, संतोष सिंह, उदयवीर सिंह, दिनेश मिश्र बीनू, तेजप्रताप तिवारी, रितिक सिंह, अज़ीत चौबे, अमित कुमार आदि सैकड़ों स्त्री-पुरुष श्रोतागण मौजूद रहे।
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