बंदरों के उत्पात, पेयजल व सफाई की समस्या से त्रस्त करहां
●एक दशक से करहां सहित दर्जन भर गांवों की प्रमुख समस्या बने बंदर
●पुरानी टंकी, जर्जर पाइपलाइन व सफाईकर्मियों के अभाव से हो रही समस्या
■करहां (मऊ) : सुप्रसिद्ध संत बाबा घनश्याम साहब की तपस्यास्थली एवं कभी "जगाओ न बापू को नींद आ रही है" शेर लिखने वाले प्रख्यात शायर रहे शमीम करहानी के नामों से मशहूर करहां आज अपनी दुश्वारियों का रोना रो रहा है। कौमी एकता की मिशाल पेश करने वाला काफी सघन बसा गांव आज अनेक समस्याओं से त्रस्त है। एक दशक से जहां करहां सहित दर्जन भर क्षेत्रीय गांव बंदरों के उत्पात से आजिज़ हैं, वहीं स्वच्छ पेयजल तथा साफ-सफाई की भारी अव्यवस्था है। सफाईकर्मियों के अभाव से जहां जगह-जगह कूड़े कचरे का ढेर लगा है, वहीं मच्छरों एवं संक्रामक बीमारियों का हमेशा खतरा बना रहता है।
पुरानी टंकी व जर्जर पाईपलाईन के कारण आये दिन पानी की आपूर्ति बाधित रहती है। ग्रामीणों द्वारा उक्त समस्याओं के समाधान के लिए अनेक बार प्रयास किये गये लेकिन संबंधित विभाग व अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुये हैं। क्षेत्रवासियों की मांग है कि करहां सहित आसपास के सघन बसे गांवो को मिलाकर नगर पंचायत क्षेत्र घोषित कर दिया जाय। ताकि बड़े बजट के कारण क्षेत्रीय सुविधाओं का बेहतर विकास हो सके।
बता दें कि क्षेत्र की आस्था के प्रमुख केंद्र गुरादरी मठ के बंदर आज एक दशक से करहां सहित दर्जन भर गांवों के नागरिकों का जीना मुहाल कर चुके हैं। क्या दिन क्या रात किसी भी समय घर से बाहर निकलना, घूमना, खाना-पीना, बाजार से सामान ले आना, स्कूल-कालेज आना-जाना, अनाज सुखाना यहां तक कि खेती-बाड़ी करना सब मुहाल है। बंदरों के उपद्रव के कारण गांव के आसपास की अनेक जमीनें फसल विहीन हो चुकी हैं। कभी करहां के मौर्य समाज के लोग प्रचुर मात्रा में साग-सब्जी की खेती करते थे। कुम्हार परिवार मिट्टी के बर्तन बनाकर गुजर-बसर करते थे। मुस्लिम बहुल बस्तियों में ताना-बाना व हैंडलूम का काम होता था। बंदरों के उत्पात से यह सारे रोजगार बंद हो चुके हैं। रही सही कसर बंदर काटकर पूरी कर दे रहे हैं। आये दिन यह बुजुर्गो, बच्चों, महिलाओं एवं छात्र-छात्राओं को काटकर घायल कर देते हैं। इससे परेशान लोंगों को एंटीरैबीज का इंजेक्शन लगवाना पड़ता है।
गांव सन 2005 में अम्बेडकर गांव बना था। उसी समय यहां पुरानी तकनीकि से पानी की टंकी एवं पाइपलाइन बिछाई गई। 19-20 वर्षो के दौरान लोहे की पाईपलाईन जंग खाकर जर्जर हो चुकी है और जगह-पाइप फ़ट गया है। ओवरहेड टैंक भी फटने लगा है, जिसके कारण इसके गिरने का खतरा बना हुआ है। मोटर व पम्प आये दिन खराब हो जाता है। इसके कारण नियमित रुप से पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती। साथ ही मात्र दो महिला सफाईकर्मियों के भरोसे करहां ग्राम पंचायत के 04 राजस्व गांव हैं। इसलिए जगह-जगह कूड़े कचरे का अंबार लगा हुआ है। कचरा घर अर्थात आरसीसी सेंटर एवं कचरा गाड़ी की व्यवस्था हो जाने के बावजूद सफाईकर्मियों की कमी से गंदगी फैली हुई है।
◆प्रधान प्रतिनिधि के नाते बंदरों से निजात दिलाने का प्रयास किया गया था। परंतु इनकी अधिक संख्या एवं अनेक गांवों में फैलाव के कारण सफलता नहीं मिली। बिना प्रशानिक व विभागीय सहयोग के यह काम ग्राम पंचायत स्तर पर कठिन है। ●श्यामबिहारी जायसवाल, प्रधान प्रतिनिधि, करहां
◆टंकी, पाइपलाइन, मोटर व पम्प पुराने तथा जर्जर हो चुके हैं। वहीं 4 राजस्व गांवों में मात्र दो सफाईकर्मी मिले हैं। विभाग को अनेक बार मौखिक व लिखित सूचित किया जा चुका है। यहां नई पाईपलाईन, टंकी व सफाईकर्मियों की जरुरत है। ●पूनम जायसवाल, ग्रामप्रधान करहां
●समस्याओं को चिन्हित कर समाधान कराया जायेगा। ब्लाक में गांवों की संख्या की अपेक्षा सफाई कर्मचारियों की संख्या कम है। बावजूद करहां में सफाईकर्मियों की बढ़ोत्तरी पर विचार किया जायेगा।◆डाक्टर चंद्रशेखर कुशवाहा, खंड विकास अधिकारी, मुहम्मदाबाद गोहना
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