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राजा और ऋषि दोनों का स्वभाव था पिताजी में- विजयशंकर सिंह

राजा और ऋषि दोनों का स्वभाव था पिताजी में- विजयशंकर सिंह



करहाँ, मऊ। हमारे पूज्य पिताजी स्वर्गीय राजाराम सिंह एक सरल हृदय, धार्मिक प्रवृत्ति, सदाचारी जीवन तथा सदैव विप्र, संत, भिक्षुक व आगंतुकों की सेवा करने वाले व्यक्तित्व थे। उनके अंदर राजा और ऋषि दोनों के गुण निहित थे, इसलिए आज लोग उन्हें सम्मान से राजर्षि के रूप में याद करते हैं।

पिताजी ने अपना जीवन बहुत कठिन परिस्थितियों में कड़ी मेहनत से जिया है। कभी भी विपरीत समय में डिगे नहीं बल्कि जमाने भर के विरोध के बावजूद उन्होंने अपने विवेक कौशल से विजय प्राप्त की। पितृपक्ष में सम्पूर्ण राजर्षि परिवार की तरफ से भावपूर्ण नमन एवं सादर श्रद्धासुमन।


विजय शंकर सिंह, राजर्षि नगर, दरौरा-मऊ

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