साधना व साहित्य सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर थे पिताजी
करहाँ, मऊ। हमारे पिता स्वर्गीय महेंद्र सिंह अकेला जी अपने जीवन में एक मेधावी छात्र, प्रगतिशील कृषक एवं आध्यात्मिक प्राणी के रूप में सम्पूर्ण परिवार को सींचे। माताजी स्वर्गीय शान्ति देवी के असमय निधन से वे एकदम शान्त हो गए और उनका झुकाव धर्म व लेखन में बढ़ गया। वे साधना व साहित्य सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर थे।
'बेख़ुदी खुदकशी है और खुद ही खुदा है' और 'मैं तो अपने पिया की प्यारी' जैसी सैकड़ों रचनाएं उनकी महान रचनाधर्मिता को प्रदर्शित करती है। उनके द्वारा निर्मित शिवशंकरी धाम उनकी साधना स्थली के रूप में आज भी पूजनीय स्थल है। पिताजी की पुण्यस्मृतियों को प्रणाम।
कृतज्ञ पुत्र, गायक अभय सिंह, भाँटीकला-मऊ
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