भागवतानां चरितं यस्य सः भागवतः - आचार्य महेश


भागवतानां चरितं यस्य सः भागवतः - आचार्य महेश

नगपुर में श्रीमद्भागवत कथा का द्वितीय दिवस

श्रीमद्भागवत सप्ताह यज्ञ के साथ चल रही है सप्तदिवसीय कथा


करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना विकास खंड अंतर्गत नगपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य महेश चंद्र मिश्र ने शुकदेवजी के जन्म एवं नारदजी के पूर्व जन्म का वृतांत सुनाया। कहा कि जो अपना सर्वस्व परमात्मा को अर्पण कर देते हैं उनका जीवन परमात्मा से जुड़ जाता है क्योंकि "भागवतानां चरितं यस्य सः भागवतः।" अर्थात जहां भगवान के परम लाड़ले भक्तों का चरित्र हो वहीं भागवत है।

बताया कि भगवान के लाड़ले भक्त राजा परीक्षित हुये जिनका जन्म पाण्डव वंश में हुआ। जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया, दुर्योधन की जंघा को भीम ने अपनी गदा से तोड़ दिया और दुर्योधन अपनी अन्तिम सांस ले रहे थे उसी समय उनके मित्र अश्वत्थामा आये और अन्तिम इच्छा पूछने लगे तो दुर्योधन ने पाण्डवों के सिर लाने को कहा। अश्वत्थामा रात्रि में सोते हुये पाण्डवों को छलपूर्वक मारने गए परन्तु जिनके रक्षक गोविन्द रहें उनको कौन मार सकता है? पाण्डवों को लेकर भगवान चले गए और वहाँ द्रोपदी के पाँचो पुत्र सो गये। दुष्ट अश्वत्थामा द्रोपदी के पाँचों पुत्रों को मार दिया। इसके बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को पकड कर उनके मस्तक से मणि निकाल कर उन्हें अपमानित करके छोड़ दिया। ब्राह्मण का अपमान उसके वध के समान होता है। अश्वत्थामा ने प्रतिशोध लेने के लिये अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ पर ब्रह्मास्त्र चला दिया। उत्तरा रोती हुई भगवान के पास आयी। परमात्मा ने उनके गर्भस्थ शिशु की रक्षा की और गर्भ में ही दर्शन दिये। जब इस बालक का जन्म हुआ तो वह चारों तरफ देखने लगा कि जिसने गर्भ रक्षा की वह दिव्य पुरुष कहाँ है?

परितः इच्छतः इति सः परीक्षितः चारों तरफ देखने के कारण उनका नाम परीक्षित पड़ा और जब इनको सर्प के डसने से मृत्यु का श्राप लगा तो परमात्मा शुकदेवजी के रूप में उनका उद्धार करने आये। जब उन्हें शस्त्र से भय था तो सुदर्शन चक्र से उनकी रक्षा की और जब श्राप लगा तो शास्त्र के द्वारा मोक्ष दिलाया। भगवान की महिमा अपरंपार है इसलिए हमें विश्वासपूर्वक अपना सम्पूर्ण जीवन भगवान के हाथों में सौप देना चाहिए।

द्वितीय दिवस की कथा के सुबह के सत्र में पंडित विनीत पांडेय व आशीष तिवारी ने मुख्य यजमान प्रभुनाथ राम व श्यामप्यारी देवी से वेदी पूजन व हवन करवाया। परायण सहित यज्ञ मंडप की परिक्रमा की गई। शाम के सत्र में मुख्य रूप से त्रिलोकी नाथ श्रीवास्तव, विनोद तिवारी, किशुन चौहान, संजय तिवारी, प्रदीप चौधरी, देवेंद्र तिवारी, राधेश्याम गुप्ता, पिंटू लाल, पवन तिवारी, आशीष चौधरी, जितेंद्र कुमार, शिवानंद गुप्ता, अनिरुद्ध यादव, शिवधन चौहान सहित अनेक महिला-पुरुष श्रद्धालु श्रोताओं ने श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कर महाआरती में भाग लिया।

Post a Comment

Previous Post Next Post