क्रोध, आवेग व दुख में कोई निर्णय न लें किशोर : बद्री सिंह
करहां (मऊ) : किशोरावस्था एक संक्रमणकालीन अवस्था है। इसमें एक विद्यार्थी बालपन से युवावस्था की तरफ अग्रसर होता है। इस बीच उसके अंदर अनेक शारीरिक व मानसिक परिवर्तन होते हैं। इस दौरान हर किशोर बंधनमुक्त होकर आजाद पक्षी की तरह उड़ना चाहता है। लेकिन यह उसके भविष्य को खतरे में डाल सकता है। इसलिए हर किशोर को माता-पिता, अभिभावक व शिक्षकों से मार्गदर्शन लेते रहना चाहिये।
उक्त उद्गार आरएएफ महिला पीजी कॉलेज शमशाबाद, करहाँ, मऊ के हिंदी प्रवक्ता बद्री सिंह ने व्यक्त किये। वे महाविद्यालय के सभागार में आयोजित दैनिक जागरण की कार्यशाला में सैकड़ों छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे बताया कि माता-पिता व गुरुजनों को भी आगे बढ़कर किशोर मन की बात समझनी चाहिये तथा उनकी समस्याओं को हल करने का प्रयास करना चाहिये।
बताया कि किशोरों को कभी भी दुख, आवेग व क्रोध में जीवन का कोई निर्णय नहीं लेना चाहिये। ऐसे विषयों पर दिल से नहीं बल्कि बुद्धि और विवेक से निर्णय लेना चाहिये। विवेकपूर्ण चिंतन हमें उच्चतम सफलता के बिंदुओं तक पहुंचाता है। किशोरों के कठिन समय में विवेक एवं धैर्य सबसे अच्छे मित्र होते हैं। इसलिये इनका साथ कभी भी न छोड़ें।
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