Top News

श्री रुद्रचंडी महायज्ञ में पार्थिव शिवलिंग के पूजन सहित दशरथ से विश्वामित्र द्वारा राम-लक्ष्मण को मांगने की हुई कथा

श्री रुद्रचंडी महायज्ञ में पार्थिव शिवलिंग के पूजन सहित दशरथ से विश्वामित्र द्वारा राम-लक्ष्मण को मांगने की हुई कथा

करहां (मऊ) : करहां परिक्षेत्र के शमशाबाद स्थित स्वयंभू शिव मंदिर पर चल रहे नौ दिवसीय श्री रुद्रचंडी महायज्ञ के दूसरे दिन 1008 पार्थिव शिवलिंग का पूजन व अभिषेक अर्चन सम्पन्न किया गया। सायंकाल कथा मंच से जगदीशाचार्य महाराज ने राजा दशरथ से विश्वामित्र द्वारा यज्ञों के रक्षणार्थ राम-लक्ष्मण के मांगने की कथा सुनाई।

यज्ञ के दूसरे दिन यज्ञाचार्य  जनार्दनाचार्य महाराज ने सुप्रभातम, मंडप प्रवेश, वेदी पूजन, योग कर्म, चंडी पाठ व आरती का क्रम सम्पन्न करवाया। दोपहर बाद के सत्र में 11 यजमानों द्वारा 1008 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उनका विधिविधान पूर्वक शुक्ल यजुर्वेद के वेद मंत्रों से पूजन-अर्चन व अभिषेक करवाया गया। 

कथा विस्तार के क्रम में जगदीशाचार्य महाराज ने बताया कि विश्वामित्र एक महान ऋषि थे, जिनके यज्ञ में राक्षस बाधा डालते थे। उन्होंने इन राक्षसों से मुक्ति पाने के लिए राजा दशरथ से सहायता मांगी। दशरथ, जो अपने पुत्रों से बहुत प्रेम करते थे, इसलिए अंदर से हिचकिचाते हैं, लेकिन विश्वामित्र के समझाने पर वे राम और लक्ष्मण को उनके साथ भेजने के लिए तैयार हो जाते हैं।

कहा कि महर्षि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को राक्षसों से लड़ने की शिक्षा देते हैं और उन्हें बला और अतिबला की विद्या भी सिखाते हैं। इस प्रकार राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ उनके यज्ञ की रक्षा के लिए चले जाते हैं।

इस अवसर पर आचार्य विद्यासागर तिवारी, दयाशंकर सिंह, हरिओम मिश्रा, हेमा देवी, आशुतोष तिवारी, बाबूलाल, जितेंद्र पांडेय, कालिंदी देवी, आशीष, शशिकला, करुणाशंकर, रामनरायन गुप्ता, रामलाल शर्मा आदि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

Post a Comment

Previous Post Next Post