शुकदेव जन्म व नारद के पूर्वजन्म की कथा सुन निहाल हुए श्रोता
करहाँ, मऊ। स्थानीय तहसील के नगपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य महेश चंद्र मिश्र ने शुकदेवजी के जन्म एवं नारदजी के पूर्व जन्म का वृतांत सुनाया। बताया कि पूर्व जन्म में नारद जी एक दासी के पुत्र थे परंतु संतो का संग और भगवान की कथा के कारण वह ब्रह्मा जी के पुत्र हुए और अपनी वीणा पर नारायण-नारायण का राग अलापते हुए तीनो लोंको का भ्रमण करने लगे।
आचार्य महेश ने बताया कि शुकदेव जी महर्षि वेद व्यास के अयोनिज पुत्र थे और यह बारह वर्ष तक माता के गर्भ में रहे। दरअसल भगवान शिव, पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे। पार्वती जी को कथा सुनते-सुनते नींद आ गयी और उनकी जगह पर वहां बैठे एक शुक ने हुंकारी भरना प्रारम्भ कर दिया। जब भगवान शिव को यह बात पता चली तब वे शुक को मारने के लिये दौड़े और उसके पीछे अपना त्रिशूल छोड़ा। शुक जान बचाने के लिए तीनों लोकों में भागा। भागते-भागते वह व्यासजी के आश्रम में आया और सूक्ष्मरूप बनाकर उनकी पत्नी के मुख में घुस गया। वह उनके गर्भ में रह गया। ऐसा कहा जाता है कि ये बारह वर्ष तक गर्भ के बाहर ही नहीं निकले। जब भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं आकर इन्हें आश्वासन दिया कि बाहर निकलने पर तुम्हारे ऊपर माया का प्रभाव नहीं पड़ेगा, तभी ये गर्भ से बाहर निकले और व्यासजी के पुत्र कहलाये। गर्भ में ही इन्हें वेद, उपनिषद, दर्शन और पुराण आदि का सम्पूर्ण ज्ञान हो गया था।
सुबह के सत्र में यज्ञ मंडप में पूजन, परायण, हवन एव परिक्रमा हुई जबकि शाम के सत्र में कथा के उपरांत भागवत भगवान की आरती की गई। कथा में मुख्य रूप प्रभुनाथ राम, श्यामप्यारी देवी, अनिरुद्ध यादव, आशीष तिवारी, शिवधन चौहान, त्रिलोकी नाथ श्रीवास्तव, विनीत पांडेय, आरती श्रीवास्तव, किशुन चौहान, पन्ना देवी, प्रदीप कुमार, विनोद तिवारी, राधेश्याम गुप्ता, संजय तिवारी, आशीष चौधरी, देवेंद्र तिवारी, मनीषा, पवन तिवारी आदि मौजूद रहे।
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