भजन से बन सकते हैं भगवान के प्रिय : पंडित महेशचंद्र मिश्र
करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना विकास खंड के नगपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा प्रवक्ता पंडित महेशचंद्र मिश्र ने प्रहलाद चरित्र का वर्णन किया। बताया कि उत्तम या नीच कुल में जन्म से नहीं अपितु पूर्णविश्वास के साथ भजन-सुमिरन से कोई भक्त भगवान का प्रिय बनता है।
आगे बताया कि प्रहलाद तो राक्षस कुलमें जन्म लेकर भी भगवान के परम प्रिय भक्त हुए। जब वह अपनी माँ कयाधु के गर्भ में थे उस समय हिरण्यकश्यपु तपस्या करने मंदराचल पर्वत पर चला गया और यहाँ देवराज इन्द्र ने उनकी माँ को मारने का प्रयास किया। नारदजी ने उनकी रक्षा की और कहा कि देवराज इसके गर्भ में गोविन्द का लाडला भक्त पल रहा है इसको मत मारो। उसे वह अपनी कुटिया पर ले आये और सुन्दर कथायें सुनाते रहे। गर्भवती महिला जो भी सुनती है, देखती है, उसका असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। नारदजी की कुटिया में ही प्रहलाद का जन्म हो गया।
हिरण्यकशिपु तपस्या पूर्ण करके ब्रहमाजी से वरदान प्राप्त कर आया तो अपने पुत्र और पत्नी को देख कर अत्यंत प्रसन्न हुया। नारद जी को बार-बार प्रणाम करके पत्नी और पुत्र को लेकर चला गया। उसने थोड़ा बड़ा होने पर प्रह्लाद को शुक्राचार्य जी के पास पढने के लिये भेजा और कुछ दिन बाद वापस लाया। पुत्र प्रहलाद को गोद में बैठा कर पूँछा बेटा आपने अपने गुरूजनों से क्या ल-क्या सीखा? प्रहलाद नवधा भक्ति का गुण बताने लगा। श्रवणं कीर्तनं विष्णु स्मरणं पाद सेवनं। अर्चनं वंदनं दास्यं सख्यमात्म निवेदनम्॥ कहा कि विष्णु का कीर्तन, स्मरण, चरण सेवा, अर्चन-वन्दन एवं आत्म निवेदन करना चाहिए।
पिता हिरण्यकश्यपु क्रोधित होकर प्रहलाद को कहता है कि तूँ देत्यों के चन्दन वन में कटीला वृक्ष कहाँ पैदा हो गया? मारने के लिए बहुत प्रयास किया परंतु सब निष्फल हो गया। होलिका को गोद में लेकर प्रहलाद को अग्नि में बैठा दिया। होलिका को अग्नि में नहीं जलने का वरदान प्राप्त था परंतु वह जल गई और भक्त प्रह्लाद प्रभु कृपा से बच गया।
कथा में मुख्य रूप से राजकुमार तिवारी, अखिलानंद द्विवेदी, इंदूमती देवी, रामशकल, अरुण कुमार, महातम तिवारी, प्रभु राम, रामअवध, अजय द्विवेदी आदि उपस्थित रहे।
Post a Comment