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सूर्यवंश में श्रीराम तो चंद्रवंश में श्रीश्याम का हुआ प्राकट्य : पंडित महेश चंद्र


सूर्यवंश में श्रीराम तो चंद्रवंश में श्रीश्याम का हुआ प्राकट्य : पंडित महेश चंद्र



करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना विकास खंड अंतर्गत नगपुर में चल रही सप्तदिवसीय कथा के चौथे दिन कथा प्रवक्ता पंडित महेश चंद्र मिश्र ने सूर्यवंश एवं विशेष रूप से चंद्रवंश में भगवान के प्राकट्य की कथा सुनाई। कथा से पूर्व यज्ञ के प्रथम सत्र में आचार्यद्वय पंडित आशीष तिवारी एवं पंडित विनीत पांडेय ने यज्ञ मंडप में पूजन, अर्चन, हवन, परायण एवं परिक्रमा कार्य को सम्पन्न कराया।

कथा का विस्तार करते हुए बताया गया कि सूर्यवंश में भगवान राम का प्राकट्य हुआ और चन्द्र वंश में षोडस कलाओं से परिपूर्ण ब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ। "कथितो वंश विस्तारो भविता सोमसूर्ययोः। राज्ञां चोभयवश्यानां चरितं परमादभुतम॥" इसी चन्द्रवंश के चन्द्रवंशी राजा थे महाराज शूरसेन जिनके पुत्र वसुदेव हुए। उनका विवाह कंस की चचेरी बहन देवकी से हुआ। कंस बड़ी प्रसन्नता से अपनी बहन देवकी को विदा कर रहा था कि उसी समय आकाशवाणी हुई कि "जिसको तूं आज विदा कर रहा है उसका आठवां गर्भ तेरा काल होगा।"

कंस अपनी बहन को ही मारने के लिए तलवार निकाल लिया। वसुदेव जी ने समझाया कि राजन

मृत्यु तो निश्चित है, चाहे आज हो या चाहे सौ साल बाद हो। अपनी बहन को मार कर  महाराज भोज के यशस्वी वंश को कलंकित मत करो। बहुत समझाने पर भी दुष्ट किसी का सगा नहीं होता। वसुदेव जी कहते हैं कि पति का कर्तव्य है कि वह हमेशा अपनी पत्नी की आन बान शान और प्राणों की रक्षा हर परिस्थिति में करे। कंस को वचन दे दिया कि आपको देवकी की संतान से भय है देवकी से नहीं है। इसलिए हम सारी संताने आपको दे देंगे। उन्होंने कंस के कारागार में रहना स्वीकार कर लिया। क्रमशः देवकी के छह पुत्रो को दुष्ट कंस ने मार दिया। सातवें बलराम जी को संकर्षण करके रोहणी के गर्भ में डाल दिया। महारानी योगमाया ने आठवें गर्भ के रूप में पूर्ण ब्रह्म परमात्मा के रूप में पधारी। सब देवताओ ने भगवान की गर्भ स्तुति की और भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष अष्टमी को मध्यरात्रि में रोहणी नक्षत्र में कन्हैया का प्राकट्य हो गया।

प्राकट्य की कथा उपरांत मुख्य यजमान श्यामप्यारी देवी व प्रभुनाथ राम के द्वारा भव्य मंगल आरती करायी गई। तत्पश्चात प्रसाद ग्रहण के साथ पांचवे दिवस तक के लिए कथा का विश्राम हुआ। चौथे दिन की कथा में मुख्य रूप से राधेश्याम गुप्ता, अनिरुद्ध यादव, शिवानंद गुप्ता, प्रदीप चौधरी, किन्नू चौहान, अनिल पटवा, आशीष कन्नौजिया, प्रतिमा, रीना आदि उपस्थित रहीं।

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