कन्हैया ने गोवर्धन उठाकर इंद्र का अहंकार किया चकनाचूर : पंडित महेशचंद्र
करहाँ, मऊ। मुहम्मदाबाद गोहना ब्लाक के नगपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में पांचवे दिन कथा प्रवक्ता पंडित महेशचंद्र मिश्र ने गोवर्धन धारण की कथा सुनाई और बताया कि किस प्रकार कन्हैया ने इंद्र का अभिमान चकनाचूर किया।
कहा कि इन्द्र का अहंकार दूर करने के लिए भगवान ने सभी ब्रजवासियों से गिरिराज की पूजा कराई और मानसी गंगा को प्रकट किया। गिरराज जी को स्नान करा कर चन्दन लगाया, माला पहनया और छप्पन भोग लगाया। जब इन्द्र ने देखा कि इस बार ग्वाल हमारी पूजा छोडकर गोवर्धन की पूजा कर रहे हैं तो वह क्रोधित हो गए। सात दिन सात रात लगातार मूसलाधार बारिश किया। कन्हैया ने अपनी सबसे छोटी उंगली पर गिरिराज पर्वत को उठा लिया और सारे ब्रजवासियों को उसके नीचे कर लिया। जब सात दिन बाद इन्द्र ने देखा कि इतनी बारिस के बावजूद व्रज मण्डल में तो धूल उड़ रही है तो सारा जल अगस्त ऋषि पी गये। भगवान की महिमा को समझ कर आकाश गंगा के द्वारा भगवान का गोविन्दाभिषेक किया और क्षमा प्रार्थना की।
कथा के पूर्व यज्ञाचार्य पंडित विनीत पांडेय एवं पंडित आशीष तिवारी ने यज्ञ मंडप में मुख्य यजमान इंदूमती देवी एवं अखिलानंद द्विवेदी से वेदी पूजन और हवन करवाया। पंडित महेश मिश्र के भागवत परायण के मध्य भक्तो ने मंडप की परिक्रमा की। कथा में मुख्य रूप से मुन्ना तिवारी, सुधाकर द्विवेदी, मुकेश त्रिपाठी, प्रदीप चौधरी प्रज्ञा द्विवेदी, अवधनाथ राम, महातम तिवारी, संतोष कुमार, रामशकल, रामसरन, त्रिभुवन मौर्या, किशुन चौहान आदि उपस्थित रहे।
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