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कृष्ण से बड़ा दयालु कोई नहीं हो सकता : आचार्य महेश

कृष्ण से बड़ा दयालु कोई नहीं हो सकता : आचार्य महेश

करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के फत्तेपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन यज्ञाचार्य पंडित महेशचंद्र, पंडित आशीष तिवारी व प्रियव्रत शुक्ल ने मुख्य यजमान रमेश सिंह व सुधा देवी से वेदी पूजन, हवन व आरती करवाई। श्रीमद्भागवत परायण के दौरान श्रद्धालुभक्त यज्ञ मंडप के फेरी लगाते रहे। सायंकाल कथा सत्र में कथा प्रवक्ता आचार्य महेश ने पूतना वध की कथा सुनाई। कहा कि पूतना एक बाल हत्यारिनी राक्षसी थी। वह भगवान का रुधिर पीने और उन्हें मारने के लिए आई थी। उसने अपने स्तनों में कालकूट नामक जहर लगा कर बालकृष्ण को स्तनपान कराकर मारना चाहा, परंतु कृपालु कृष्ण ने उसको भी सदगति प्रदान कर दी। उनसे बड़ा दयालु कौन हो सकता है-? अर्थात कृष्ण से बड़ा दयालु कोई नहीं हो सकता।

"पूतना लोक बालध्नी राक्षसी रुधिरासना।

जिघांसयापि हरये स्तनं दत्वाप सदगतिम।।"

श्रीमद्भागवत कथा में राजा परीक्षित से शुकदेवजी कहते हैं कि हे राजन जब पूतना के शरीर को जलाया गया तो उसके शरीर से सुगन्ध निकल रही थी। राजा परीक्षित ने कहा महाराज पूतना तो राक्षसी व मांशभक्षी थी। उसके शरीर से तो दुर्गंध आनी चाहिए। इसपर शुकदेवजी ने कहा कि जिसका स्तनपान स्वयं परमात्मा ने किया हो वह राक्षसी कैसे रह सकती है-? पूतना राजा बली की पुत्री थी। उसका रत्नावली नाम था। जब बलि की यज्ञ में वामन भगवान पधारे तो उन्हें देखकर उसका वात्सल्य उमड़ पड़ा। रत्नावली के अंदर स्तनपान कराने की इच्छा प्रकट हो गई लेकिन जब राजा बलि को छल लिया तो उसके अंदर विचार आया ऐसे पुत्र को तो जहर पिला देना चाहिए। परमात्मा ने कृष्णावतार में उसकी इन दोनों इच्छाओं को पूर्ण कर दिया।

कथा में मुख्य रूप से राघव सिंह, कुंज द्विवेदी, वेद मिश्रा, बिंदू देवी, अखिलेश तिवारी, आराध्या, कात्या, सोनम, आर्या, राधेमोहन सिंह, एकलव्य सिंह, किशुन चौहान आदि सैकड़ो श्रद्धालु श्रोतागण उपस्थित थे। सबने मिलकर समवेत स्वर में भागवत भगवान की आरती का गान किया एवं प्रसाद ग्रहण किया।

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