इंद्र का अहंकार चूर करने के लिए कृष्ण ने उठाया गोवर्धन : आचार्य महेश
करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के फत्तेपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथा प्रवक्ता आचार्य महेश ने भगवान कृष्ण की गोवर्धन लीला का प्रसंग सुनाया। कहा कि इंद्र का अहंकार चकनाचूर करने में लिए भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की।
बताया कि ब्रजवासी साल भर में एक बार इन्द्र की पूजा किया करते थे। कन्हैया ने नंद बाबा से गिरिराजजी की पूजा करने को कहा। सभी गोप, ग्वाल छप्पन भोग बना कर गिरिराजजी की तलहटी में पहुंचे। कन्हैया ने मानसी गंगा को प्रकट कर दिया दूध चढ़ाया। गिरिराजजी की चंदन, धूप, दीप से पूजा करने के बाद छप्पन भोग लगाया। इन्द्र ने क्रोधित होकर सांवर्तक मेघों को आदेश दिया और मूसलाधार बारिश होने लगी। गोविन्द ने व्रजवासियों की रक्षा के लिए अपनी सबसे छोटी कनिष्ठिका अंगुली पर गिरिराज धारण कर लिया। सात दिन, सात रात तक लगातार बारिस हुई और जब इंद्र ने देखा तो ब्रज में धूल उड़ रही थी। बारिस का सारा जल अगस्त ऋषि पान कर गये।
आचार्य महेश ने कहा कि अंत में कन्हैया के ऐश्वर्य को इन्द्र समझ गये। ऐरावत हाथी पर सवार होकर आकाशगंगा से श्रीकृष्णचंद्र का गोविन्दाभिषेक किया और क्षमा प्रार्थना की। इस अवसर पर यज्ञाचार्य आशीष तिवारी, एकलव्य सिंह, पंडित प्रियव्रत शुक्ल, राधेमोहन सिंह, सुरेन्द्र सिंह, श्वेता सिंह, अखंड प्रताप सिंह, ओमप्रकाश सिंह, रणधीर सिंह, पूजा सिंह, महावीर सिंह, शिव सिंह, उदय प्रताप सिंह, रजनी सिंह, वीरेंद्र सिंह, तारकेश्वर सिंह, सुभाष सिंह, गोल्डी सिंह, समरबहादुर सिंह, अंजली सिंह सहित सैकड़ों भक्तगण उपस्थित रहे।
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