करवा चौथ में व्रती महिलाओं ने पति की सलामती के लिये की प्रार्थना

करवा चौथ में व्रती महिलाओं ने पति की सलामती के लिये की प्रार्थना

करहां (मऊ) : सम्पूर्ण भारत राष्ट्र सहित विदेशों में रहने वाली हिंदुस्तानी महिलाओं ने रविवार को करवा चौथ का व्रत रखा और अपने पतियों की सलामती के लिये प्रार्थना की। जनपद की तमाम सुहागिनों के साथ करहां परिक्षेत्र में भी इस व्रत की धूम रही। बाजारों में दिनभर बनी रही विशेष चहल पहल के साथ देर शाम स्थानीय ब्लॉक के विभिन्न गांवों सहित कस्बों व राजर्षि नगर में सुहागिन महिलाओं ने सामूहिक रूप से भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा कर चंद्रदर्शन के साथ पति का चेहरा देखा और अर्घ्य देने के बाद स्वयं जल ग्रहण किया।

बता दें कि इस व्रत को पहली बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से मां पार्वती को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिला था। कहते हैं कि तभी से सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत रखने से पति के जीवन में किसी भी तरह के कष्ट नहीं आते हैं।

इसी उद्देश्य के निमित्त जनपद भर में महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर पूजन अर्चन किया। मुख्य रूप से श्वेता काशीनाथ मिश्र पलिया, किरन रविन्द्र सिंह दरौरा, मनीषा आशीष सिंह सुल्तानीपुर, अर्चना अज़ीत सिंह राजर्षि नगर, रोमी कुश सिंह राजर्षि नगर, निधि विपुल सिंह भदीड़, अंशू सुनील जायसवाल करहां, सरोज संतोष सिंह दरौरा, मानसी सिंह बरपुर मऊ, वंदना ज्ञानवेंद्र सिंह असोना, गीता देवी डॉक्टर एलबी चौहान गोपालपुर, रीना बजरंगी सिंह दरौरा, सिब्बी भूपेंद्र पांडेय सौसरवां, सुधा सोनू सिंह अवराईं, अर्चिता पवन सिंह राजर्षि नगर आदि सुहागिन स्त्रियों ने करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लिया।

इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रख शाम को चंद्रमा के उदय होने पर तुलसी माता के समीप गौरी, गणेश, भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय और चंद्रमा का पूजन किया। चंद्रमा की पूजा कर सात बार गोल-गोल घूमकर अर्घ्य दिया। विधि-विधान से पूजन करने के बाद स्वयं ही वाचन कर करवाचौथ की कथा सुनी। पूजा करने के बाद महिलाओं ने अपने पतियों का चेहरा देखा तथा निर्जला व्रत का पारण किया। इस मौके पर व्रती महिलाओं ने कहा कि करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्त्व रखता है और यह उनके पतिव्रता, प्रेम और गृहस्थ जीवन की साझेदारी का प्रतीक होता है।



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