करहाँ परिक्षेत्र के दर्जन भर गांव बंदरों के उपद्रव से त्रस्त

करहाँ परिक्षेत्र के दर्जन भर गांव बंदरों के उपद्रव से त्रस्त

करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना ब्लाक के करहाँ परिक्षेत्र के दर्जन भर गांवों में बंदरों व बेसहारा पशुओं का उपद्रव बहुत अधिक बढ़ गया है। इनसे किसान, व्यापारी, दुकानदार, बुनकर, विद्यार्थी, बुजुर्ग, महिलाएं सब परेशान हैं। फूल-पत्ती, बाग-बागवानी, सब्जी-फल यहां तक की बरसीम व बाजरा तक को नहीं छोड़ रहे। बाजार से कुछ सामान लेकर जाने में झपट्टा मारकर छीन लेते हैं और लोंगो को दौड़ाकर काटकर घायल भी कर देते हैं। वर्तमान में बढ़ रही रवि की फसलें भी इनकी वजह से बर्बाद हो रही हैं, लेकिन समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है।

बतादें कि इनकी बढ़ती संख्या की वजह से किसानों को कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। एक तो दिन-रात वह लोग सिचाई करके फसलें बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उक्त फसलों को बर्बाद करने में वे कोई कसर नहीं छोड़ रहे। फसल तो दूर करहाँ क्षेत्र के विभिन्न गांवों में बाग-बागवानी भी बंदरों की वजह से प्रभावित है। बुनकरों का ताना-बाना जहां ख़तम हो गया वहीं सब्जी-भाजी के बीघों खेत परती पड़े हुये हैं। क्षेत्रवासियों ने संबंधित विभाग एवं अधिकारियों से करहाँ क्षेत्र की इस सबसे बड़ी समस्या से निजात दिलाने की माँग की है।

क्या कहते हैं करहाँ क्षेत्र के नागरिक..

●पिछले 10 वर्षों में करहां परिक्षेत्र के दर्जन भर गांवों के किसान, व्यवसायी, बुनकर सभी बंदरों के उत्पात से आजिज हैं। कितना भी सचेत रहा जाय लेकिन रोज कुछ न कुछ नया नुकसान हो ही जाता है।

◆आशीष प्रताप सिंह, व्यवसायी, शमशाबाद

●हमारा गांव सब्जी की खेती व बागवानी के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन बंदरों के उपद्रव से सब्जी के बीघों खेत परती पड़े हैं। हार मानकर दूसरा व्यवसाय करने को लोग मजबूर हैं।

◆इंद्रजीत मौर्य, शिक्षक, करहाँ

●मेरी मां को खतरनाक बंदर 05 बार काट चुके हैं। ग्रामप्रधान सहित अन्य गांव की दर्जन भर महिलाओं, विद्यार्थियों एवं बुजुर्गो को भी अनेक बार चोटिल कर चुके हैं। समस्या का समाधान जनहित में बेहद आवश्यक है।

◆प्रमोद कुमार, किसान, करहाँ

●हमारे क्षेत्र गांव से बंदरों के कारण बाहर ताना-बाना करना खतम हो गया। बाजार से कोई सामान टांगकर ले जाना खतरे से खाली नहीं है। अनेक बुनकर बेरोजगार हो गये।

◆हाजी इनामुलहक अंसारी, नईबाजार

●इस विषय मे मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. नवीन कुमार वर्मा का कहना है कि बंदर के काटने से होने वाले घाव को लेकर घबराए नहीं। साबुन और पानी से घाव को 05-10 मिनट तक धोएं। इस पर डेटाल, बीटाडीन जैसे एंटीसेप्टिक लगाए। कुत्ते की तरह इससे भी रैबीज फैलता है। इसलिए घाव धोने के तुरंत बाद डाक्टर से संपर्क करें और चौबीस घंटे में रैबीज का इंजेक्शन लगवाएं।

●बंदरों को पकड़ने की जिम्मेदारी पालिका, नगर पंचायत व ग्रामसभाओं की है। वन विभाग का हस्तक्षेप खत्म कर दिया गया है। लोग इन लोगों से संपर्क कर समस्या का समाधान कराएं।

◆पीके पांडेय, डीएफओ मऊ।

●बंदरों को लेकर शिकायतें मिल रही है। वन विभाग से तकनीकी सहयोग लेकर बंदरों को पकड़ा जाएगा। फिर इन्हें वन में भेज दिया जाएगा। इसके लिए उच्चाधिकारियों से वार्ता चल रही है।

◆दिनेश कुमार, ईओ नगर पालिका मऊ।

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