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कोर्ट व सर्वे के बीच फंसा आरसीसी रोड पर बहता गंदा पानी

कोर्ट व सर्वे के बीच फंसा आरसीसी रोड पर बहता गंदा पानी

करहां (मऊ) : कहते हैं कि कोई भी रास्ता किसी गांव, बस्ती व नगर को आवागमन की सुविधा प्रदान करता है। लेकिन यदि कोई रास्ता ही नाबदान में बदल जाय तो उससे होकर आवागमन की परेशानियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह हाल है मुहम्मदाबाद गोहना ब्लाक के याकूबपुर गांव का, जहां गांव के सबसे प्रमुख आरसीसी मार्ग पर लंबे समय से ग्रामीणों द्वारा गंदा पानी बहाकर नाबदान बना देने का। फिलहाल यह मामला कोर्ट व न्यायिक सर्वे के बीच एक अबूझ पहेली बनकर फंसा हुआ है। इंतजार है कि कोई हल निकले और यह रास्ता नाबदान के रुप में नहीं बल्कि आवागमन की सुगमता के रुप में बदल जाय।

दरअसल इस समस्या के उत्पन्न होने का मुख्य कारण ग्रामीण ही हैं। उनमें से कई लोग रास्ते के किनारे तक घर बनाकर घर का पानी रास्ते पर बहाने लगे। आगे गंदा पानी खेतों की फसलों को नुकसान न करे, इसलिए संबधित किसानों ने दोनों तरफ से मिट्टी बांध दिया। अब वह पूरा आरसीसी मार्ग नाबदान में बदल गया।

इस संबंध में गांव निवासी सेवानिवृत्त फौजी महेश सिंह ने गांव की इस खोर व एक अन्य चकमार्ग से अतिक्रमण हटाने के लिए कोर्ट की शरण ली, ताकि रास्ता चौड़ा हो सके और उसके किनारे की जमीन पर नाला बन सके। न्यायालय के आदेश पर पुलिस बल की उपस्थिति में खोर व चकमार्ग की तीन बार उच्च तकनीकी विधियों से सीमांकन का भरपूर प्रयास किया गया लेकिन किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका। इस संबंध में विभिन्न पुलिस अधिकारियों व जिले के आला अधिकारियों को कोर्ट की फटकार भी झेलनी पड़ी।

इस विषय में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि मैं संबंधित ग्रामीणों के लिए अलग-अलग एवं सार्वजनिक तौर पर एक बड़ा सोख्ता गड्ढा बनाने के लिए तैयार हूं लेकिन ग्रामीण चाहते हैं कि यह गंदा पानी गांव के पश्चिमी हिस्से के पोखरे में बहाया जाय। चूंकि उक्त पोखरा छठ पूजन व अन्य धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इसलिए उसमें गंदा पानी बहाना जनहित में नहीं है। चूंकि अब यह मामला कोर्ट के विचाराधीन है, इसलिए हम सबको न्यायालय से किसी ठोस व स्थायी समाधान की आस है।

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