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सन्यास धारण के 28 वर्षों बाद पूर्वाश्रम की जन्मभूमि पर पधारे स्वामी ज्ञानानंद


सन्यास धारण के 28 वर्षों बाद पूर्वाश्रम की जन्मभूमि पर पधारे स्वामी ज्ञानानंद


क्षेत्रवासियों एवं ग्रामवासियों ने किया भव्य स्वागत


जन्मभूमि को नमन कर विभिन्न मंदिरों में किया पूजन



करहाँ (मऊ) : भारत ही नहीं अपितु अपने वैदिक शोधों से सम्पूर्ण विश्व को एक नई दिशा देने वाले प्रख्यात शांकर सन्यासी परमहंस परिव्राजकाचार्य स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज का सन्यास धारण करने के 28 वर्षों बाद पूर्वाश्रम की जन्मभूमि पर बुधवार दोपहर को आना हुआ। अपार खुशी में ग्रामवासियों एवं क्षेत्रवासियों ने भावपूर्ण स्वागत किया। स्वामी जी ने अपनी जन्मभूमि को नमन कर गांव विभिन्न मंदिरों में पूजन किया एवं उपस्थित सैकड़ो श्रद्धालुभक्तों को आशीर्वचन प्रदान किया।

ज्ञातव्य हो कि स्वामी जी श्रीमद आद्यशंकराचार्य वैदिक शोध संस्थानम काशी, श्रीपीठ गोवर्धन एवं श्रीकृष्ण योगमाया शक्ति पीठ अष्टभुजा के संस्थापक अध्यक्ष हैं। आपके द्वारा अनेक धार्मिक स्थलों, ऐतिहासिक तथ्यों एवं पुरातात्विक स्थलों का वैदिक शोध किया गया है। इतिहास के विभिन्न गलत काल गणनाओं का इतिहास की किताबों में संशोधन कराया गया। श्रीराम सेतु पर आपका शोध न्यायालय के द्वारा स्वीकार किया गया एवं उसके आधार पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया। मात्र 27 वर्षो में सन्यास धारण करने के उपरांत आपने 1095 दिन सम्पूर्ण भारत राष्ट्र की हिमसेतु पर्यन्त नंगे पांव पदयात्रा की।

सन्यास धारण के 28 वर्षों बाद पहली बार पूर्वाश्रम की जन्मभूमि पर आने की सूचना पर पूरा गांव दुल्हन की तरह सजाया गया। ढोल-नगाड़ों, गाजे-बाजे, ध्वज-पताका के साथ जयघोष युक्त पुष्पवर्षा के बीच मध्यान काल में गाड़ियों के काफिले के बीच स्वामी जी के आगमन से ग्रामवासी बेहद प्रसन्न व भावुक नजर आए। उन्होंने गांव में आयोजित मुख्य यजमान अखिलानंद द्विवेदी के श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ के लिए कलश स्थापन समारोह में भाग लेकर रामजानकी मंदिर, माता माई मंदिर एवं ब्रह्म बाबा मंदिर में पूजन किया। स्वामी जी ने 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी' की भावधारा से जन्मभूमि की मिट्टी को माथे पर लगाया एवं उसका विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजन किया। अपने उद्बोधन में कहा कि इस ग्राम के रजकण की मान-मर्यादा हमेशा बढ़ती रहेगी। आप सबके सुकृत्य को प्रणाम है जो इस शरीर से विश्व प्राण प्रण की निरंतर सेवा हो रही है। आप सब भी अपने नित्य नैमेतिक कर्तव्य कर्म करते हुए देश एवं समाज की सेवा में योगदान दें, ऐसी मेरी मंगल कामना और नारायणाशीष है।

उन्होंने ग्रामनिवासी रामाश्रय तिवारी, वीरेंद्र मद्धेशिया, अजय द्विवेदी, महातम तिवारी, चंद्रभूषण तिवारी, सुधीर लाल श्रीवास्तव, अरविंद कुमार त्रिपाठी, विश्वनाथ लाल, मुन्ना त्रिपाठी आदि के निजधाम पर आयोजित विशेष स्वागत कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर सबको मंगल आशीष प्रदान किया। मुख्य स्वागत समारोह का संचालन पंडित हरिओम शरण ने तो स्वागत भाषण अरुण त्रिपाठी ने दिया जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रभुनाथ राम ने किया। इस अवसर पर सैकड़ों महिला-पुरुषों का हुजूम विभिन्न कार्यक्रम स्थलों में देर शाम तक देखा गया।



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