बाल योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण चंद्र को लगाया गया 56 भोग
करहाँ (मऊ) : मुहम्मदाबाद गोहना विकास खंड के नगपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण चंद्र को 56 भोग लगाया गया। कथा प्रवक्ता पंडित महेश चंद्र मिश्र ने पूतना, तरणावत, यमलार्जुन, संकटासुर के उद्धार की कथा सुनाते हुए बताया कि परमात्मा से बड़ा कोई दयालु नहीं है। भगवान दुष्टों का आक्रमण व अनास्था सहन करने के बाद भी ऐसे लोंगो को अपना परमधाम प्रदान कर देते हैं। ऐसे अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं।
कथा विस्तार के क्रम में उन्होंने बताया कि पूतना अपने स्तनो में कालकूट नामक जहर लगाकर भगवान को मारने आयी थी। जबकि भगवान ने उसको भी अपना परमधाम दे दिया। "कं वा दयालुं शरणं व्रजेम।" अर्थात परमात्मा से बड़ा दयालु और कौन हो सकता है, जो मारने की इच्छा से आयी पूतना नामक राक्षसी को भी धात्री माँ के समान गति प्रदान करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण चंद्र ने बाल लीला के क्रम में तर्णावर्त, संकटासुर, यमलार्जुन आदि का संहार परमधाम प्रदान करने का ही उदाहरण है। कालिया नाग को यमुना से बाहर निकालना एवं चीरहरण लीला करके उन्होंने यह बताया कि ब्रह्म और जीव के बीच पर्दा नहीं होना चाहिये। उन्होंने गिरिराज धारण कर इन्द्र का अहंकार दूर किया। देवराज इन्द्र ने ऐरावत के साथ आकाश गंगा से उनका गोविन्दाभिषेक किया।
पांचवे दिवस की यज्ञ में आचार्यद्वय पंडित आशीष तिवारी व पंडित विनीत पांडेय ने मुख्य यजमान श्यामप्यारी देवी व प्रभुनाथ गुप्ता से मंडप वेदी का पूजन अर्चन व हवन कराया। भागवत परायण के साथ श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की। पांचवे दिन की कथा में आशीष चौधरी ने कथा प्रवक्ता का माल्यार्पण कर स्वागत किया एवं मनीषा कन्नौजिया एव जितेंद्र चौधरी सहित सम्पूर्ण कुटुम्ब एवं ग्रामवासियो समेत भगवान की झाँकी का अभिषेक अर्चन करके 56 भोग का दर्शन किया। साथ ही छप्पन भोग की मंगल आरती की गई।
कथा के अंत में विनोद तिवारी, मनीषा कन्नौजिया, संजय तिवारी, राधेश्याम गुप्ता, देवेंद्र तिवारी, रीना चौधरी, अनिल पटवा, प्रतिमा, चंद्रिका, मेवाती चौहान, पवन त्रिपाठी, राजेश कन्नौजिया, कमला सिंह, नवीन यादव, पन्ना देवी, आरती श्रीवास्तव, अनिरुद्ध यादव, किन्नू चौहान, नान्हू चौहान, शिवधर चौहान आदि सभी ने समवेत स्वर में भागवत भगवान की आरती में भाग लिया और छप्पन भोग प्रसाद ग्रहण कर पुण्य के भागी बने।
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