पूर्ण भक्ति से संभव है भगवतप्राप्ति : पंडित महेश चंद्र मिश्र
करहाँ, मऊ। मुहम्मदाबाद गोहना विकास खंड के नगपुर में चल रही श्रीमदभागवत कथा के छठवें दिन कथा प्रवक्ता पंडित महेश चंद्र मिश्र ने महारास की कथा का रसपान कराया। बताया कि शरद पूर्णिमा की रात को भगवान ने वंशी बजाई तो वंशी को सुनकर गोपियां प्रेम विह्वल होकर जिस स्थिति में थी, वैसे ही दौड़ पड़ी और गोविंद के पास पहुंच गईं। सुंदर महारास हुई गोपियां कोई साधारण नहीं है। प्रत्येक इंद्रीय से कृष्ण रस का पान करती हैं। यदि परमात्मा को समर्पण करना है तो गोपियों की तरह करना चाहिए। गोपियां कहती हैं चाहे असुंदर हों चाहे सुंदर हों, चाहे गुणों से हीन हों, चाहे गुणवान हों, चाहे हमसे प्रेम करें चाहे द्वेष करें पर श्री कृष्ण ही हमारी गति हैं। प्रेम और भक्ति से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है।
महारास की कथा का रसपान करते हुए एवं कंस वध की कथा सुनाते हुए कथा प्रवक्ता ने बताया कि अक्रूर जी कृष्ण और बलराम को लेकर मथुरा गए। कंस का उद्धार करके कुवलयापीड हाथी को मारकर मुष्टिक चाणूर का उद्धार करके कंस के सिंहासन पर जाकर विराजमान हो गए। अस्ति और प्राप्ति नामक दो पत्नियां कंस की थीं। जो जरासंध की बेटी थी। पिता के पास पहुंच गई। क्रोधित होकर जरासंध ने 18वीं बार ब्राह्मणों को पूजा पर बैठाकर युद्ध के लिए जा रहा था और कहा कि यदि इस हार गया तो सबको मार दूंगा। ब्राह्मणों की रक्षा करने के लिए भगवान युद्ध छोड़कर भाग गए।
रातों रात समुद्र के बीच में द्वारिकापुरी का निर्माण कराकर द्वारिकाधीश बन गए। रेवत नरेश की पुत्री रेवती से बलराम जी का विवाह हुआ और भीष्मक की रुक्मिणी भगवान से प्रेम करती थी। विवाह भाई रुक्मी ने शिशुपाल से तय कर दिया। भगवान ने रुक्मिणी का हरण कर विधि विधान हर्षोल्लास के साथ उनका विवाह संपन्न हुआ। इस अवसर पर आचार्य मनीष, आचार्य विनीत, प्रभुनाथ राम, श्यामप्यारी वदेवी सहित विनोद तिवारी, मनीषा कन्नौजिया, संजय तिवारी, राधेश्याम गुप्ता, देवेंद्र तिवारी, रीना चौधरी, अनिल पटवा, प्रतिमा, चंद्रिका, मेवाती चौहान, पवन त्रिपाठी, राजेश कन्नौजिया, कमला सिंह, नवीन यादव, पन्ना देवी, आरती श्रीवास्तव, अनिरुद्ध यादव, किन्नू चौहान, नान्हू चौहान, शिवधर चौहान आदि श्रद्धालुभक्त श्रोता उपस्थित रहे।
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