अच्छा देखने, सुनने व बोलने का करें प्रयास : पण्डित महेश चंद्र


अच्छा देखने, सुनने व बोलने का करें प्रयास : पण्डित महेश चंद्र



करहाँ, मुहम्मदाबाद गोहना, मऊ। स्थानीय ब्लॉक के नगपुर ने चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन अजामिल उपाख्यान की कथा श्रवण करते हुए व्यास पंडित महेश चंद्र ने कहा कि हमें अपनी आँखों से अच्छा देखने, कानों से अच्छा सुनने और वाणी से अच्छा बोलने का प्रयास करना चाहिए।

बताया कि मन में पाप के प्रवेश करने के दो रास्ते आँख और कान हैं। इसलिये इन इंद्रियों को नियंत्रण में रखना चाहिए। कहा कि अजामिल नाम के ब्राह्मण बड़े ही ज्ञानी सदाचारी थे। एक बार जंगल में पूजा हेतु पुष्प लेने गये थे कि वहाँ एक वेश्या को गैर पुरुष के साथ देखा। उनकी ऑंखों में पाप प्रवेश कर गया। उस स्त्री को अपने घर ले आये। अब वेश्या को तो धन चाहिये। जो वह पूजा पाठ करते थे वह सब छूट गया। धन कमाने के लिए डाका डालने लगे। एक दिन संतो की मंडली आकर अजामिल के द्वार पर रुक गई। वह लोग सोच रहे थे किसी भक्त का घर होगा। वह वेश्या बाहर निकली कहा महाराज हम बहुत अपवित्र हैं आपकी सेवा नहीं कर सकते। यदि आज्ञा हो तो सूखा आटा, दाल, चावल दे सकते हैं।

संतो ने स्वीकार किया और विचार किया इसके घर का हमने अन्न खाया तो इसके उद्धार का चिंतन करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने अजामिल को बुलाया और कहा कि आपका जो पुत्र हो उसका नाम नारायण रख देना। ऐसा कह कर वह सभी चले गए। अजामिल ने अपने पुत्र का नाम नारायण रख दिया। प्रेमवश अपने पुत्र को नारायण-नारायण कहकर बुलाता रहता था। जब उसका अन्तिम समय आया और यमराज के दूत विकराल वेष में धारण कर आये तो वह अपने पुत्र नारायण को बुला रहा था। उसका पुत्र नारायण ने तो नहीं सुना लेकिन बैकुण्ठाधिपति नारायण के कानों तक वह आवाज पहुँच गई। उन्होंने अपने पार्षदों को वहाँ भेज दिया। उन पार्षदों ने जाकर धर्मराज के दूतों को रोक दिया और कहा कि इसने हमारे नारायण का नाम लिया है, आप इसे नहीं ले जा सकते। दूतों ने जाकर धर्मराज को यह वाकया बताया। धर्मराज ने कहा कि चाहे कोई भाव से या कुभाव से, आलस्य से किसी भी प्रकार भगवान का नाम लेता है तो उसको नरक में मत लाना। पापी के पाप करने की क्षमता उतनी नहीं है जितनी भगवान के नाम में पाप नष्ट करने का सामर्थ है। इसलिये जिनकी जीभ कभी भगवान का नाम न लेती हो, जिनका चित्त कभी उनके चरणारविन्दों का ध्यान ना करता हो, जिनका सिर कभी एक बार भी कृष्ण को प्रणाम ना करता हो, ऐसे पापियों के लिए नरक में ही स्थान सुरक्षित है।

तीसरे दिन की कथा में आचार्य आशीष तिवारी, अखिलानंद द्विवेदी, पंडित विनीत पांडेय, इंदूमती देवी, राजकुमार तिवारी, प्रभुनाथ राम, मुन्ना त्रिपाठी, रामसरन, दिनेश मौर्य, किशुन चौहान, अजय द्विवेदी आदि उपस्थित रहे।

Post a Comment

Previous Post Next Post