जीते जागते संस्कारशाला थे पूज्य पिताजी दीपचंद दूबे : हरिश्चंद्र दूबे
करहां (मऊ) : मेरे पूज्य पिताजी स्वर्गीय दीपचंद द्विवेदी आकर्षक व सहयोगात्मक व्यक्तित्व के धनी थे। धर्म, संस्कृति व पारिवारिक संस्कारों का सूक्ष्म ज्ञान व अनुभव उनके अंदर विद्यमान था। उनके द्वारा सम्पूर्ण परिवार में जगाये गई शिक्षा व संस्कार की ज्योति से हम सभी सदैव आगे बढ़ते रहे। आजकी वर्तमान पीढ़ी में भी उनके द्वार रोपित संस्कार प्रबल भाव में पाये जा रहे हैं। वस्तुतः पूज्य पिताजी अपने आप में जीती जागती संस्कारशाला थे।
वे पेशे से डाक विभाग में पोस्टमास्टर थे जिनका निधन 1998 हुआ था। इस दौरान वे क्षेत्रीय लोगों का बहुत सहयोग करते थे। वे अनेक जरूरतमंद व मेधावी लोंगो को अपने प्रयास से आगे बढ़ाये। पितृपक्ष के अवसर पर सम्पूर्ण कृतज्ञ द्विवेदी सदन की तरफ से कोटिशः नमन।
◆हरिश्चंद्र दूबे, पूर्व प्रधानाचार्य, टाउन इंटर कॉलेज, मुहम्मदाबाद गोहना, निवासी हलीमाबाद, मऊ
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