छठ पर्व का मुख्य केंद्र है सूर्य मंदिर देवलास व सूर्यकुंड

छठ पर्व का मुख्य केंद्र है सूर्य मंदिर देवलास व सूर्यकुंड

लगेगा एक पखवाड़े का भव्य मेला, जुटेंगे हजारों श्रद्धालु

करहाँ (मऊ) : जिले के ऐतिहासिक एवं पौराणिक 'देवलास मेले' की तैयारियां इन दिनों जोर-शोर से चल रही हैं और अपने अंतिम चरण में हैं। मेले में लगने वाली कुछ दुकानें सज चुकी हैं तो कुछ सज रही हैं, झूले लग चुके हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश और अन्य जिलों से आईं खजलों की दुकानों से बिक्री प्रारंभ हो चुकी है। सर्कस, मौत का कुआं, जादूगरी के खेल एवं मनोरंजन की अन्य गतिविधियां तैयारी के अंतिम सोपान पर हैं। सूर्य मन्दिर और सूर्य कुंड सहित सभी मंदिरों पर अन्य स्थानों पर साफ-सफाई का कार्य जारी है। सूर्य मंदिर पूरी तरह से सज चुका है।

विदित हो कि लोक आस्था के महापर्व छठ के अवसर पर देवर्षि देवल की तपोस्थली देवलास स्थित बालार्क सूर्य मंदिर पर भगवान सूर्य के बाल स्वरूप के दर्शन होते हैं। यहां प्रति वर्ष छठ पूजा का पर्व अत्‍यंत हर्ष और उल्‍लास से मनाया जाता है। इस अवसर पर यहाँ एक भव्य मेला लगता है, जो लगभग 15 दिनों तक चलता है। ऐसी मान्यता है कि देवलास कभी अयोध्या साम्राज्य का पूर्वी द्वार हुआ करता था तथा इस सूर्य मंदिर की आधारशिला भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से रखी थी और बाद में गुप्त कालीन शासक विक्रमादित्य ने यहाँ सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था। सूर्य मंदिर प्रबंध समिति से जुड़े श्याम सुंदर पाण्डेय ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ करके पूर्णिमा तक यह स्‍थान विभिन्‍न धार्मिक-सांस्‍कृतिक गतिविधियों का केंद्र बना रहता है।

मुख्य आयोजन छठ के दिन होता है जब सायंकाल हज़ारों की संख्या में व्रती श्रद्धालु स्त्री-पुरुष सूर्य मंदिर के निकट स्थित सूर्य कुंड पर उपस्थित होकर छठ पूजा करते हैं। जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ दिया जाता है, तथा अगली सुबह पुन: वहीं उपस्थित होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है।

इस वर्ष यह आयोजन 07 और 08 नवम्‍बर को होगा जिसमें 07 तारीख की शाम को डूबते हुए सूर्य को तथा 08 नवम्‍बर की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाएगा। इसके एक दिन पहले अर्थात पंचमी तिथि को यहॉं पर एक और आयोजन की परम्‍परा है, जिसे ‘बटोर’ के नाम से जाना जाता है। ‘बटोर’ के दिन सुबह क्षेत्र की औरतें सूर्य मंदिर पर एकत्र होकर हलवा-पूरी बनाती हैं और उसे भगवान सूर्य को चढ़ाती हैं। इस प्रक्रिया को ‘कराही चढ़ाना’ कहा जाता है।

इस वर्ष ‘बटोर’ या ‘कराही चढ़ाने’ का आयोजन 06 नवम्‍बर को होगा। षष्ठी तिथि अर्थात छठ के दिन सूर्योदय से पूर्व ‘नहान’ की भी परम्‍परा है जिसमें हजारों की संख्या में क्षेत्रवासी एवं दूर-दूर से आये श्रद्धालु सूर्योदय से पूर्व सूर्य कुंड में स्नान करके सूर्य मंदिर पर भगवान सूर्य के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। इसे ‘नहान’ के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि देश में शरद ऋतु में होने वाले ‘नहानों’ में यह प्रथम ‘नहान’ होता है। इस वर्ष सूर्य कुंड पर यह ‘नहान’ 07 नवम्‍बर को होगा । कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्य मंदिर पर देव दीपावली का भव्‍य आयोजन किया जाता है। जिसके अंतर्गत इक्‍यावन हजार दीप जलाकर सूर्य मंदिर और सूर्य कुंड को सजाया जाता है। साथ ही इस अवसर पर सांस्‍कृतिक-बौद्धिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इस वर्ष यह आयोजन 15 नवम्‍बर को किया जाएगा।  

इस प्रकार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर पूर्णिमा तक देवलास विविध प्रकार के धार्मिक-संस्‍कृतिक आयोजनों का केंद्र बना रहता है और सूर्य मंदिर के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा की वजह से इस दौरान इस स्‍थान पर कई लाख लोगों का आवागमन होता है। इस अवधि के दौरान यहॉं लगने वाला विशाल मेला भी इसमें महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूर्य मंदिर की  ही तरह यह मेला भी अत्यंत प्राचीन है और इसमें भारी भीड़ जमा होती है। लोग जमकर खरीदारी करते हैं और दूकानदारों द्वारा अच्‍छा-खासा कारोबार किया जाता है।

मेले में आस-पास के जिलों के अलावा प्रदेश के अन्‍य सुदूर जिलों से भी दुकानें लगाने वाले, झूले वाले, सर्कस एवं विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन आते हैं। पशु मेला भी इस मेले का एक अभिन्न अंग है।  इस दौरान घुड़दौड़  प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें आसपास के जिलों  के अतिरिक्त अन्य राज्यों  से  भी घोड़े भाग लेते हैं। इस बार के मेले में घुड़दौड़ प्रतियोगिता 10  नवंबर को रखी गई है। खेती-किसानी से लेकर ग्रामीण जीवन की आवश्‍यकता की लगभग सभी वस्‍तुएं इस मेले में मिल जाती हैं।

क्षेत्रवासियों को इस मेले की बहुत प्रतीक्षा रहती है। इस क्षेत्र के वे निवासी जो आजीविका आदि कारणों से शहरों में रहते हैं, उन्‍हें भी अपने गांव-घर आने के लिए इस मेले की प्रतीक्षा रहती है । इस प्रकार ऐसे परदेशियों को आपस में मिलवाने का नेक कार्य भी यह मेला कर दिया करता है।

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